चौरीचौरा खंड में निजी मोबाइल कंपनी के टॉवर में बिजली निगम का केबल पकड़े जाने के बाद मामले की जांच चल रही है। जांच में निगम के कुछ अभियंताओं की कलई खुल सकती है, जो निगम के स्टोर से सामान जारी करवा लेते हैं, लेकिन इस्तेमाल नहीं करते और बाद में उसे बेच देते हैं। ऐसे ही दो जेई रडार पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, चौरीचौरा खंड के दो अवर अभियंताओं ने अपनी आईडी पर तीन महीने में पांच लाख रुपये से अधिक का सामान स्टोर से लिया है। यह मामला जांच के दायरे में आ गया है कि जितना और जिस क्रमांक का सामान स्टोर से लिया गया है, क्या वही सामान भौतिक रूप से इस्तेमाल किया गया है? आशंका है कि इसमें गोलमाल किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि बिजली निगम के जिम्मेदार प्रतिमाह या एक माह छोड़कर ओएंडएम में अपने कार्यों और बिजली उपकरणों की मांग भरते हैं। सामान की मांग को पोर्टल पर भरना होता है। उपकरणों की मांग भरने के बाद एसडीओ जांच कर आगे बढ़ाते हैं। फिर अधिशासी अभियंता स्वीकृति देते हैं। इसके बाद सामान की मांग सूची स्टोर को चली जाती।
सूत्रों ने बताया कि स्टोर से ही गड़बड़ी शुरू हो जाती है। वितरण खंड से स्वीकृत कर भेजे गए सामानों की सूची का इनवाइस (प्राप्ति रसीद) स्टोर का कर्मचारी अवर अभियंता के नाम से काट देता है। अवर अभियंता इसे मंथली एकाउंट (मासिक खाते) में दर्ज कर लेते हैं और स्टोर से जारी रसीद भी ले लेते हैं। इसके बाद ठेकेदार और जिम्मेदारों के बीच खेल शुरू होता है। कागज में सामान जेई या जिम्मेदार ले लेते हैं, लेकिन भौतिक रूप से सामान स्टोर में ही रह जाता है। बाद में इसका इस्तेमाल पैसे लेकर किया जाता है। संवाद
स्टोर सूत्रों ने बताया कि इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) पर अवर अभियंता अपने क्षेत्र की लाइन को निर्बाध रूप से चलाने के लिए सामान की मांग भरते हैं। उसी खंड के कुछ अवर अभियंता क्षेत्र में अधिक उपभोक्ता होने के बाद भी स्टोर से सामान नहीं लेते हैं, लेकिन कुछ अवर अभियंता एक से दो माह में सामान लेते रहते हैं।
इन सामान की होती है मांग बिजली खंभा (पीसीसी), केबल, एल्यूमिनियम (पीबीसी), डाक कंडक्टर, क्राम आर्म, एयर ब्रेकैट, डिफिटिंग, केबल ज्वाइंट किट, ट्यूबलर पोल, एंगल समेत अन्य सामान स्टोर से लेते हैं।
जांच के बाद टॉवर कंपनी भी कर सकती है कार्रवाई इंडस टावर कंपनी के अधिकारियों ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि मंडल में पांच सौ से अधिक कंपनी के टॉवर लगे हैं। सभी पर बिजली का काम किसी और के माध्यम से कराया गया है। पहली बार चोरी के केबल का मामला सामने आया है। कंपनी भी निजी तौर पर मामले की जांच करवाएगी। इसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
किसी निजी टॉवर में बिजली निगम का केबल मिलना हैरत भरा है। अवर अभियंता अपने क्षेत्र के लिए ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए अलग-अलग उपकरणों की मांग करते हैं। इन्हें जारी किया जाता। केबल पकड़े जाने के बाद अब सभी अवर अभियंताओं के ओएंडएम की जांच के लिए पत्र लिखा जाएगा। देखा जाएगा कि जिन्होंने जितना सामान लिया, क्या भौतिक रूप से उसे उसी स्थान पर लगाया गया है? अगर गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। – मनीष झा, अधिशासी अभियंता, चौरीचौरा खंड
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चौरीचौरा खंड में निजी मोबाइल कंपनी के टॉवर में बिजली निगम का केबल पकड़े जाने के बाद मामले की जांच चल रही है। जांच में निगम के कुछ अभियंताओं की कलई खुल सकती है, जो निगम के स्टोर से सामान जारी करवा लेते हैं, लेकिन इस्तेमाल नहीं करते और बाद में उसे बेच देते हैं। ऐसे ही दो जेई रडार पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, चौरीचौरा खंड के दो अवर अभियंताओं ने अपनी आईडी पर तीन महीने में पांच लाख रुपये से अधिक का सामान स्टोर से लिया है। यह मामला जांच के दायरे में आ गया है कि जितना और जिस क्रमांक का सामान स्टोर से लिया गया है, क्या वही सामान भौतिक रूप से इस्तेमाल किया गया है? आशंका है कि इसमें गोलमाल किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि बिजली निगम के जिम्मेदार प्रतिमाह या एक माह छोड़कर ओएंडएम में अपने कार्यों और बिजली उपकरणों की मांग भरते हैं। सामान की मांग को पोर्टल पर भरना होता है। उपकरणों की मांग भरने के बाद एसडीओ जांच कर आगे बढ़ाते हैं। फिर अधिशासी अभियंता स्वीकृति देते हैं। इसके बाद सामान की मांग सूची स्टोर को चली जाती।
सूत्रों ने बताया कि स्टोर से ही गड़बड़ी शुरू हो जाती है। वितरण खंड से स्वीकृत कर भेजे गए सामानों की सूची का इनवाइस (प्राप्ति रसीद) स्टोर का कर्मचारी अवर अभियंता के नाम से काट देता है। अवर अभियंता इसे मंथली एकाउंट (मासिक खाते) में दर्ज कर लेते हैं और स्टोर से जारी रसीद भी ले लेते हैं। इसके बाद ठेकेदार और जिम्मेदारों के बीच खेल शुरू होता है। कागज में सामान जेई या जिम्मेदार ले लेते हैं, लेकिन भौतिक रूप से सामान स्टोर में ही रह जाता है। बाद में इसका इस्तेमाल पैसे लेकर किया जाता है। संवाद