गोरखपुर में अंडरग्रांउड क्राइम: जमीनों के धंधे में माफिया के इलाके अलग, मगर उसूल एक, नहीं रखेंगे पैर पर पैर

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Underground crime Panchayat held in Lucknow in case of dispute in a deal of mafia

बाएं से गोरखपुर के माफिया अजीत शाही, राकेश यादव, सुधीर सिंह और विनोद उपाध्याय।
– फोटो : अमर उजाला।

विस्तार

माफिया, शब्द ही अपने आप में बताने के लिए पर्याप्त है कि इसके पीछे जिसका नाम होगा, वह बड़ा खिलाड़ी होगा। गोरखपुर जिले के टॉप टेन की सूची में शामिल माफिया अजीत शाही, विनोद उपाध्याय हो या फिर सुधीर सिंह, राकेश यादव, सभी का जमीन का धंधा है। हां, वक्त के साथ इतना जरूर बदला है कि ये अब आपस में लड़ते नहीं, इलाका बांटकर अपने-अपने धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं। वसूल बना लिया है कि जमीन के धंधे में एक दूसरे के पैर पर पैर नहीं रखेंगे। सबके मूल में है, विकास की परिधि में आई गोरखपुर की जमीन।

वजह साफ है, योगी सरकार बनने के बाद से जिस तरह से विकास को रफ्तार मिली है, जमीन की कीमतों में अचानक उछाल आया है। दूसरे, यह भी जानते हैं कि इस सरकार में अपराध करके बच नहीं सकते हैं। ऐसे में अपराध से दूरी करने का ढोंग करके जमीन के धंधे में माफिया उतर गए हैं। खौफ ऐसा कि अपना नाम सामने आने भी नहीं देते हैं। वहीं, यहां पर जमीन खरीदने वालों में बड़ी संख्या बिहार, झारखंड के लोगों की है, जो कई बार की दौड़भाग के बाद हारकर बैठ जाते हैं।

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जानकारी के मुताबिक, जमीन की खरीद-फरोख्त में जालसाजी कर काम करने वालों ने ही माफियाओं से सांठगांठ कर ली है। ताल रामगढ़, बजरंग कॉलोनी से लेकर कालेसर तक का ठेका माफिया सुधीर सिंह के पास है। गलरिहा, शाहपुर, पिपराइच इलाके का ठेका माफिया विनोद उपाध्याय के पास है तो राकेश भी बीच-बीच में विवादित जमीनों पर हाथ साफ कर देता है। लेकिन, वह सिर्फ उसी जमीन पर हाथ डालता है, जिसमें इन दोनों माफियाओं का नाम नहीं होता।

 

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