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सार
शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि आज से शुरू हो रहा है। इस बार नवरात्रि पूरे दिन के हैं। मंदिरों और घरों में घट स्थापना के साथ ही मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना शुरू होगी।
शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। आज मंदिरों और घरों में घट स्थापना के साथ ही मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना शुरू होगी। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नल नामक विक्रमी संवत 2079 का शुभारंभ होने वाला है। इस संवत्सर के राजा शनिदेव और मंत्री गुरु बृहस्पति रहेंगे।
आगरा की ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन माता के समीप कलश स्थापना की जाती है। ऐसी मान्यता है कलश के मुख में विष्णु भगवान, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा निवास करते हैं। अत: कलश स्थापना के लिए मिट्टी का घड़ा, कलावा, जटा वाला नारियल, गंगाजल, लाल कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली रोली और अक्षत के सहित स्थापना की जाती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी एवं मां सिद्धिदात्री की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।
ऐसे करें स्थापना
प्रात:काल मां की अष्टभुजी मूर्ति या फोटो को सुंदर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। मां का वस्त्र, आभूषण, केसर व चंदन से शृंगार करें। मां को पुष्पमाला पहनाएं। चौकी के आगे एक कलश स्थापित करें और उसमें वरुण देवता का आह्वान करें। मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं। मां को फल, नैवेद्य, दूध, मिष्ठान्न का भोग लगाएं। धूप, दीप से आरती करें।
नवरात्रि में पूजा
सिद्धि विनायक मंदिर के महंत पंडित ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि नवरात्र में प्रतिदिन छोटे से यज्ञ कुंड में आम की लकड़ी पर हवन सामग्री में देसी घी काले, तिल, जौ, सूखा नारियल मिलाकर देवी जी के मंत्रों से हवन करना चाहिए।
आज होगा मां शैलपुत्री का पूजन
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। उन्हें सफेद या पीली बर्फी, मीठा दूध, किशमिश और नारियल का भोग अर्पित करना चाहि
विस्तार
शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। आज मंदिरों और घरों में घट स्थापना के साथ ही मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना शुरू होगी। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नल नामक विक्रमी संवत 2079 का शुभारंभ होने वाला है। इस संवत्सर के राजा शनिदेव और मंत्री गुरु बृहस्पति रहेंगे।
आगरा की ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन माता के समीप कलश स्थापना की जाती है। ऐसी मान्यता है कलश के मुख में विष्णु भगवान, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा निवास करते हैं। अत: कलश स्थापना के लिए मिट्टी का घड़ा, कलावा, जटा वाला नारियल, गंगाजल, लाल कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली रोली और अक्षत के सहित स्थापना की जाती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी एवं मां सिद्धिदात्री की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है।
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