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उन्नाव। गेहूं खरीद की तिथि बढ़ने का जिले में कोई असर नहीं दिखा। 30 जून को खरीद खत्म हो गई लेकिन आंकड़ा लक्ष्य 56 हजार मीट्रिक टन के सापेक्ष 1511.30 एमटी पर ही सिमट गया। जानकारों का मानना है कि गेहूं की कम खरीद का असर राशन वितरण में होना तय है।
एक अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद के लिए 90 क्रय केंद्र बनाए गए थे लेकिन समर्थन मूल्य कम होने से किसानों ने बाजारों का रुख किया। उधर रूस-यूक्रेन युद्ध होने के कारण सरकार ने गेहूं का निर्यात खोल दिया। जिसके कारण आढ़तियों ने जमकर खरीद की। सरकारी क्रय केंद्र पर जहां गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल रहा तो वहीं आढ़त पर 2050 से 2100 रुपये पर खरीद की गई। जिले में 28 आढ़तों पर 2.5 लाख क्विंटल गेहूं खरीद की गई। मई में सरकार ने निर्यात पर रोक लगाई लेकिन इसका भी असर नहीं दिखा। खरीद का कांटा 1511.30 मीट्रिक टन पर ही अटक गया।
एजेंसीवार हुई खरीद
विपणन विभाग 400.30 मीट्रिक टन
पीसीएफ 1012.45 मीट्रिक टन
एसएफसी 84.35 मीट्रिक टन
एफसीआई 14.20 मीट्रिक टन
कुल 1511.30 मीट्रिक टन
रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण सरकार को निर्यात खोलना पड़ा जिस कारण बाजार में गेहूं जमकर बिका। वहां पर दाम भी किसानों को अधिक मिला। इस कारण सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की कम खरीद हुई। पीसीएफ को छोड़ अन्य एजेंसी का गेहूं एफसीआई में जमा करा दिया गया है। -श्याम मिश्रा जिला विपणन अधिकारी
उन्नाव। गेहूं खरीद की तिथि बढ़ने का जिले में कोई असर नहीं दिखा। 30 जून को खरीद खत्म हो गई लेकिन आंकड़ा लक्ष्य 56 हजार मीट्रिक टन के सापेक्ष 1511.30 एमटी पर ही सिमट गया। जानकारों का मानना है कि गेहूं की कम खरीद का असर राशन वितरण में होना तय है।
एक अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद के लिए 90 क्रय केंद्र बनाए गए थे लेकिन समर्थन मूल्य कम होने से किसानों ने बाजारों का रुख किया। उधर रूस-यूक्रेन युद्ध होने के कारण सरकार ने गेहूं का निर्यात खोल दिया। जिसके कारण आढ़तियों ने जमकर खरीद की। सरकारी क्रय केंद्र पर जहां गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल रहा तो वहीं आढ़त पर 2050 से 2100 रुपये पर खरीद की गई। जिले में 28 आढ़तों पर 2.5 लाख क्विंटल गेहूं खरीद की गई। मई में सरकार ने निर्यात पर रोक लगाई लेकिन इसका भी असर नहीं दिखा। खरीद का कांटा 1511.30 मीट्रिक टन पर ही अटक गया।
एजेंसीवार हुई खरीद
विपणन विभाग 400.30 मीट्रिक टन
पीसीएफ 1012.45 मीट्रिक टन
एसएफसी 84.35 मीट्रिक टन
एफसीआई 14.20 मीट्रिक टन
कुल 1511.30 मीट्रिक टन
रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण सरकार को निर्यात खोलना पड़ा जिस कारण बाजार में गेहूं जमकर बिका। वहां पर दाम भी किसानों को अधिक मिला। इस कारण सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की कम खरीद हुई। पीसीएफ को छोड़ अन्य एजेंसी का गेहूं एफसीआई में जमा करा दिया गया है। -श्याम मिश्रा जिला विपणन अधिकारी
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