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जवाहर बाग कांड में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष संतोष यादव की मौत की जानकारी हुई तो पुलिस तुरंत एक्शन में आ गई। रामवृक्ष यादव को अपने साथी अमित गुप्ता, हरनाथ, राजनारायण शुक्ला आदि के साथ शाम करीब छह बजे जवाहर बाग की बाउंड्री फांदकर भागते हुए दबोच लिया। राजनारायण शुक्ला ने अदालत में पुलिस के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र के मुताबिक पुलिस बाकी लोगों को अलग-अलग थाने में ले गई और रामवृक्ष को अपने साथ ले गई थी। इसके बाद रामवृक्ष का पता नहीं चला।
राजनारायण ने पुलिस पर अपहरण कर हत्या संबंधी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सीजेएम मथुरा की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थना पत्र को सीजेएम ने सीबीआई की इस रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया, जिसमें उसने रामवृक्ष यादव को मृत माना है। शुक्ला ने अपने अधिवक्ता एलके गौतम के माध्यम से इस खारिज प्रार्थना का रिवीजन प्रार्थना पत्र एडीजे-षष्टम अभिषेक पांडे की अदालत में लगाया है। इस मामले में 17 नवंबर को सुनवाई होगी।
इसी अदालत में एसपी सिटी और थानाध्यक्ष की हत्या का मुकदमा भी चल रहा है। जिसमें रामवृक्ष यादव भी नामजद है। एसीजेएम मथुरा की अदालत में 2 जून 2016 की वारदात से पूर्व के कई मामले चल रहे हैं। जिनमें रामवृक्ष यादव नामजद था। यह मामले पुलिस से मारपीट, बाबा जयगुरुदेव के अनुयायियों से मारपीट, बिजली कर्मचारी और उद्यान कर्मचारियों से मारपीट के मामले हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में रामवृक्ष यादव भी नामजद है।
अभियुक्तगणों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एलके गौतम के अनुसार आज भी अदालत में इन केसों में पुलिस ने रामवृक्ष की मरने संबंधी रिपोर्ट नहीं लगाई है। इस कारण इनकी तारीख पर रामवृक्ष यादव के हाजिर होने की आवाज भी लगाई जाती है। अब इस केस में 19 दिसंबर की तारीख लगी है। बता दें कि जवाहर बाग कांड में तत्कालीन एसपी सिटी व थानाध्यक्ष समेत 29 लोगों की मौत हुई थी।
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