जहरीली शराब प्रकरण: बड़ों की जिंदगी हुई चौपट, बच्चे संभाल रहे परिवार, मदद की धनराशि का चेक वापस ले गए अधिकारी

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life of the elders is messed up children taking care of the family

चाय और गुटखा बीडी बेचता किशोर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

28 मई 2021 दिन शुक्रवार। लोधा के करसुआ गांव से शुरू हुए जहरीली शराब से मौत के सिलसिले ने अलीगढ़ से लखनऊ तक सबको हिलाकर रख दिया था। इस घटना में किसी की जिंदगी छिनी, किसी की आंखों की रोशनी। परिवार दाने-दाने को लाचार हुए। ऐसे में अपना और अपनों के पेट पालने की सारी जिम्मेदारी इन परिवारों के मासूम कंधों पर आ टिकी। जो बच्चे कभी स्कूल से लौटने के बाद गांव-गली में खेलते-घूमते थे, वह आज दो जून की रोटी का बंदोबस्त करने के लिए स्कूल का बैग घर पर रखकर मेहनत-मजदूरी में लग रहते हैं।

करसुआ गांव के ऐसे ही चार परिवारों के मौजूदा हालात पर अमर उजाला ने नजर डाली तो हर जगह दो साल पुराने उस दर्द के जख्म अभी भी नजर आए। इन परिवारों में पीड़ा ये भी है कि जहरीली शराब कांड के बाद प्रशासन-शासन स्तर से मदद की जो घोषणा हुई थी, वह भी उन्हें नसीब नहीं हुई।

जहरीली शराब कांड में आंखों की रोशनी गवां चुका युवक

 

केस- 1

गांव करसुआ निवासी 13 वर्षीय शालू गांव के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सातवीं कक्षा का छात्र है। जहरीली शराब पीने से उसके चाचा राजेश की मौत हो गई थी, जबकि पिता पप्पू की आंखों की रोशनी चली गई। माता-पिता के साथ ही एक भाई और एक बहन है। परिवार वालों की मदद से पप्पू ने गैस बाटलिंग प्लांट के सामने एक खोखा रखवाया, जिसमेें चाय-नमकीन, बीड़ी-मसाला आदि रखवाया। दिन में शालू की मां और बहन यहां पर बैठती हैं, जबकि स्कूल से लौटने के बाद शीलू दुकान संभालता है। पप्पू ने बताया कि घटना के बाद ढाई लाख रुपये की मदद का आश्वासन मिला था, लेकिन एक ढेला नहीं मिला। भाई राजेश की मौत के बाद ढाई लाख रुपये का जो चेक आया था, उसे भी अधिकारी वापस ले गए।

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जहरीली शराब से पति सन्तोष की मौत के बाद परिवार री हालात खराब पत्नी श्यामू देवी अपनी बेटी पूनम

केस – 2 

गांव के निवासी महेश की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। घर के मुखिया की मौत के बाद और भी खराब हो गई। ऐसे में परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी महेश के किशोरवय बेटों आदित्य और दुष्यंत और अंकुर के कंधों पर आ गई। यह तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। हालांकि सरकारी स्कूल में पढ़ाई आज भी जारी है लेकिन पढ़ाई के साथ ही तीनों ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना में मजदूरी भी करते हैं। सुबह मनरेगा में काम करने के बाद पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं। वहां से लौटने के बाद भी मनरेगा में काम करते हैं, ताकि परिवार का गुजर-बसर हो सके। उनकी मां कहती है कि दु:खों का ऐसा पहाड़ किसी परिवार पर न टूटे।

केस- 3

करसुआ निवासी सुनील की भी जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। इसके बाद उनके छोटे भाई राकेश की मौत हो गई। घर पर बुजुर्ग मां सीमा देवी बची हैं। घटना के बाद सरकार से कुछ आर्थिक मदद मिली तो एक मुसीबतेें टूटना जारी रहीं। आर्थिक मदद मिलने के बाद उनके मकान का कुछ हिस्सा गिर गया। उसकी मरम्मत में कुछ धन खर्च हो गया। परिवार उजड़ने के बाद बूढ़ी सीमा देवी अपने घर पर किसी तरह अपना जीवन गुजार रही हैं।

केस -4 

गांव के संतोष सिंह पुत्र साहब सिंह की जहरीली शराब पीने के कारण मौत हो गई थी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। परिवार में पत्नी श्यामू देवी, दो पुत्र राकेश व गोविंद और बेटी पूनम है। पूनम शादी के योग्य है। पूरा परिवार मेहनत-मजदूरी कर एक-एक रुपया जोड़ रहा है ताकि पूनम की शादी के लिए धन एकत्र हो सके।

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