जाति का मामला फिर सुर्खियों में: एसपी सिंह बघेल के खिलाफ कोर्ट में प्रकीर्ण वाद दर्ज, 18 फरवरी को सुनवाई

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सार

करहल में चुनाव से पहले भाजपा प्रत्याशी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल के खिलाफ आगरा के एमपी-एमएलए कोर्ट में प्रकीर्ण वाद दर्ज हुआ है। इस पर 18 फरवरी को सुनवाई होगी। 

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विधानसभा चुनाव के समय केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल के जाति प्रमाण पत्र का मामला एक बार फिर चर्चा में है। आगरा के अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज कर सुनवाई के लिए 18 फरवरी को पत्रावली तलब की है।

अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने प्रार्थना पत्र कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से नामांकन किया है। वह भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। अधिवक्ता ने मैनपुरी के जिलाधिकारी व रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।

अधिवक्ता ने ये लगाए आरोप

अधिवक्ता ने कहा है कि एसपी सिंह बघेल के मध्य प्रदेश के शैक्षिक प्रमाण पत्रों में उनकी जाति ठाकुर दर्ज है। आरोप लगाया कि वह उत्तर प्रदेश में आकर अन्य पिछड़ी जाति का बन गए। पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त कर ली। समाजवादी पार्टी की टिकट पर जलेसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1998 में अन्य पिछड़ी जाति बघेल के रूप में नामांकन प्रस्तुत किया। चुनकर लोकसभा पहुंचे।

मगर, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टूंडला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के दौरान बघेल ने स्वयं को अनुसूचित जाति का दर्शाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। उपजाति धनगर बताई गई। वह विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।

अधिवक्ता ने कहा- ओबीसी से हैं एसपी सिंह 

अधिवक्ता ने वाद पत्र में कहा कि एसपी सिंह बघेल अन्य पिछड़ी जाति से हैं। मगर, उन्होंने आगरा लोकसभा क्षेत्र, जो सुरक्षित है, वहां पर इनके द्वारा नामांकन प्रस्तुत किया गया। इसमें भी उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लगाया। इस पर अधिवक्ता ने आपत्ति की थी। जाति प्रमाणपत्र को फर्जी बताया था। मगर, सुनवाई नहीं हुई।

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अब फिर से 11 फरवरी को प्रार्थना पत्र दिया। इसमें धोखाधड़ी, कूटरचना और एससी-एसटी एक्ट में परिवाद दर्ज कराने को प्रार्थना पत्र दिया। इस पर कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज कर पत्रावली पर सुनवाई के लिए 18 फरवरी नियत की है।

इनके खिलाफ भी शिकायत

वाद पत्र में केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के अलावा सदर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार, लिपिक, क्षेत्रीय राजस्व निरक्षक, लेखपाल, वो समस्त कर्मचारी-अधिकारी जिन्होंने धनगर जाति का प्रमाण पत्र बनाने के लिए कार्रवाई की हो, के खिलाफ कार्रवाई को लिखा है।  

विस्तार

विधानसभा चुनाव के समय केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल के जाति प्रमाण पत्र का मामला एक बार फिर चर्चा में है। आगरा के अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज कर सुनवाई के लिए 18 फरवरी को पत्रावली तलब की है।

अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने प्रार्थना पत्र कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से नामांकन किया है। वह भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। अधिवक्ता ने मैनपुरी के जिलाधिकारी व रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।

अधिवक्ता ने ये लगाए आरोप

अधिवक्ता ने कहा है कि एसपी सिंह बघेल के मध्य प्रदेश के शैक्षिक प्रमाण पत्रों में उनकी जाति ठाकुर दर्ज है। आरोप लगाया कि वह उत्तर प्रदेश में आकर अन्य पिछड़ी जाति का बन गए। पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त कर ली। समाजवादी पार्टी की टिकट पर जलेसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1998 में अन्य पिछड़ी जाति बघेल के रूप में नामांकन प्रस्तुत किया। चुनकर लोकसभा पहुंचे।

मगर, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टूंडला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के दौरान बघेल ने स्वयं को अनुसूचित जाति का दर्शाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। उपजाति धनगर बताई गई। वह विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।

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