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उन्नाव। जिले के कुल 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में से 15 में कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) यानी खून की जांच नहीं हो रही है। केवल हसनगंज सीएचसी में जांच की सुविधा है। 32 लाख आबादी के लिए स्थापित 15 सीएचसी में जांच न होने से मरीजों को जिला अस्पताल या निजी पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ रहा है।
जांच के लिए लगी ऑटोएनालाइजर मशीन खराब हैं तो कहीं डाल्वेंट व क्लीनर न होने से मशीन को बंद कर रख दिया गया है। सीबीसी में होने वाली 20 प्रकार की जांचों के लिए मरीजों को 300 से चार हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।
जिले की 33.16 लाख आबादी को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए 16 ब्लॉकों में सीएचसी संचालित हैं। इनमें पुरवा, नवाबगंज, हसनगंज व बांगरमऊ स्वास्थ्य केंद्र में सीबीसी जांच मशीनें हैं, लेकिन केवल हसनगंज सीएचसी में सीबीसी जांच हो पा रही है। बांगरमऊ केंद्र की मशीन 15 दिनों से खराब है। यहां रोजाना 15 से 20 मरीज सीबीसी जांच के लिए पहुंचते हैं। पुरवा सीएचसी में लगी सीबीसी मशीन 2018 से बंद है। मशीन में डाल्वेंट व क्लीनर न होने से जांचें नहीं हो पा रही हैं।
यहां रोजाना 60 से 70 ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें सीबीसी से संबंधित कोई न कोई जांच लिखी जाती है। मरीज बाहर से ही जांच कराने के लिए मजबूर हैं। नवाबगंज सीएचसी का भी यही हाल है। यहां सीबीसी मशीन संचालन के लिए लगा यूपीएस आए दिन खराब हो जाता है। इससे जांचें बंद कर दी जाती हैं। ऐसा इसलिए कि सीएचसी के पास ही निजी पैथोलॉजी संचालित हैं। जिसका नुकसान तो मरीजों का होता है, लेकिन फायदा सीएचसी के डॉक्टर व स्टाफ उठाता है। 12 स्वास्थ्य केंद्र अभी ऐसे हैं जहां सीबीसी की मशीन ही नहीं है।
सीबीसी जांच के लिए मशीन एक लाख रुपये की आती है। इस मशीन से 300 सैंपलों की जांच होती है। एक बार में सैंपलों की जांच के लिए 20 लीटर डाल्वेंट व 250 मिलीलीटर क्लीनर लगता है। इसकी कीमत 10 हजार रुपये आती है। 20 प्रकार की होने वाली जांचों में एक जांच पर करीब 70 रुपये खर्च आता है। निजी पैथोलॉजी के संचालक 300 रुपये तक लेते हैं।
एसीएमओ डॉ. आरके गौतम ने बताया कि सीबीसी मशीन का डाल्वेंट काफी महंगा आता है। काफी समय से डॉक्टर अपने पास से इसकी व्यवस्था कर जांच करा रहे थे। अब बजट ही नहीं आ रहा है। इसलिए जो संभव हो सकती हैं, वह जांचें कराई जा रही हैं। डाल्वेंट व क्लीनर खरीदने के लिए बजट की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भी लिखा गया है।
पैथोलॉजी संचालक के मुताबिक सीबीसी मशीन से होने वाली जांचों में हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स काउंट सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा एमसीएच, एमसीवी, टीएलसी, न्यूट्रोफिल, लाइफोसेट, मोनोसिट स्नोफिल, बाइसोफिल, सीबीपीएस काउंट, आरबीसीएस काउंट, एमसीएच, एमसीएचसी सहित 20 प्रकार की जांचें शामिल हैं।
अचलगंज सीएचसी आए सुपासी निवासी सर्वेश ने बताया कि बुखार आने पर डॉक्टर ने तीन जांचें लिखी थीं। जांच कराने पैथोलॉजी पहुंचा तो बताया कि यह जांच सीबीसी से संबंधित हैं। निजी पैथोलॉजी में तीन जांचों का 850 रुपये देना पड़ा।
बेथर गांव निवासी दौलतचंद्र ने बताया कि एक सप्ताह से बुखार आ रहा था। वह अचलगंज सीएचसी डॉक्टर को दिखाने आए थे। डॉक्टर ने उन्हें जांचें लिखी थीं। यहां सीबीसी की जांच न होने से उन्नाव की निजी पैथोलॉजी में 960 रुपये देकर जांच करानी पड़ी।
उन्नाव। जिले के कुल 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में से 15 में कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) यानी खून की जांच नहीं हो रही है। केवल हसनगंज सीएचसी में जांच की सुविधा है। 32 लाख आबादी के लिए स्थापित 15 सीएचसी में जांच न होने से मरीजों को जिला अस्पताल या निजी पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ रहा है।
जांच के लिए लगी ऑटोएनालाइजर मशीन खराब हैं तो कहीं डाल्वेंट व क्लीनर न होने से मशीन को बंद कर रख दिया गया है। सीबीसी में होने वाली 20 प्रकार की जांचों के लिए मरीजों को 300 से चार हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।
जिले की 33.16 लाख आबादी को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए 16 ब्लॉकों में सीएचसी संचालित हैं। इनमें पुरवा, नवाबगंज, हसनगंज व बांगरमऊ स्वास्थ्य केंद्र में सीबीसी जांच मशीनें हैं, लेकिन केवल हसनगंज सीएचसी में सीबीसी जांच हो पा रही है। बांगरमऊ केंद्र की मशीन 15 दिनों से खराब है। यहां रोजाना 15 से 20 मरीज सीबीसी जांच के लिए पहुंचते हैं। पुरवा सीएचसी में लगी सीबीसी मशीन 2018 से बंद है। मशीन में डाल्वेंट व क्लीनर न होने से जांचें नहीं हो पा रही हैं।
यहां रोजाना 60 से 70 ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें सीबीसी से संबंधित कोई न कोई जांच लिखी जाती है। मरीज बाहर से ही जांच कराने के लिए मजबूर हैं। नवाबगंज सीएचसी का भी यही हाल है। यहां सीबीसी मशीन संचालन के लिए लगा यूपीएस आए दिन खराब हो जाता है। इससे जांचें बंद कर दी जाती हैं। ऐसा इसलिए कि सीएचसी के पास ही निजी पैथोलॉजी संचालित हैं। जिसका नुकसान तो मरीजों का होता है, लेकिन फायदा सीएचसी के डॉक्टर व स्टाफ उठाता है। 12 स्वास्थ्य केंद्र अभी ऐसे हैं जहां सीबीसी की मशीन ही नहीं है।
सीबीसी जांच के लिए मशीन एक लाख रुपये की आती है। इस मशीन से 300 सैंपलों की जांच होती है। एक बार में सैंपलों की जांच के लिए 20 लीटर डाल्वेंट व 250 मिलीलीटर क्लीनर लगता है। इसकी कीमत 10 हजार रुपये आती है। 20 प्रकार की होने वाली जांचों में एक जांच पर करीब 70 रुपये खर्च आता है। निजी पैथोलॉजी के संचालक 300 रुपये तक लेते हैं।
एसीएमओ डॉ. आरके गौतम ने बताया कि सीबीसी मशीन का डाल्वेंट काफी महंगा आता है। काफी समय से डॉक्टर अपने पास से इसकी व्यवस्था कर जांच करा रहे थे। अब बजट ही नहीं आ रहा है। इसलिए जो संभव हो सकती हैं, वह जांचें कराई जा रही हैं। डाल्वेंट व क्लीनर खरीदने के लिए बजट की उपलब्धता को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भी लिखा गया है।
पैथोलॉजी संचालक के मुताबिक सीबीसी मशीन से होने वाली जांचों में हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स काउंट सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा एमसीएच, एमसीवी, टीएलसी, न्यूट्रोफिल, लाइफोसेट, मोनोसिट स्नोफिल, बाइसोफिल, सीबीपीएस काउंट, आरबीसीएस काउंट, एमसीएच, एमसीएचसी सहित 20 प्रकार की जांचें शामिल हैं।
अचलगंज सीएचसी आए सुपासी निवासी सर्वेश ने बताया कि बुखार आने पर डॉक्टर ने तीन जांचें लिखी थीं। जांच कराने पैथोलॉजी पहुंचा तो बताया कि यह जांच सीबीसी से संबंधित हैं। निजी पैथोलॉजी में तीन जांचों का 850 रुपये देना पड़ा।
बेथर गांव निवासी दौलतचंद्र ने बताया कि एक सप्ताह से बुखार आ रहा था। वह अचलगंज सीएचसी डॉक्टर को दिखाने आए थे। डॉक्टर ने उन्हें जांचें लिखी थीं। यहां सीबीसी की जांच न होने से उन्नाव की निजी पैथोलॉजी में 960 रुपये देकर जांच करानी पड़ी।
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