ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई आज: परिसर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग का है मामला

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Gyanvapi Masjid Case

Gyanvapi Masjid Case
– फोटो : अमर उजाला

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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज सुनवाई होनी है। बता दें कि हिंदू पक्ष द्वारा मांग की गई है कि परिसर में गैर हिंदू का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए। ज्ञानवापी मस्जिद गिराकर हिंदुओं को सौंपने, मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी वाद पर 15 अक्तूबर को सुनवाई हुई थी। आदेश के लिए आज की तिथि नियत की गई है। मामले पर कोर्ट क्या आदेश देगा उस पर सबकी नजर है। 

हिंदू पक्ष बोला- मस्जिद है या मंदिर ट्रायल से पता चलेगा

कहा कि पिलर और फाउंडेशन मंदिर का है। जब ट्रायल होगा तभी पता चलेगा कि वह मस्जिद है या मंदिर। दीन मोहम्मद के फैसले के जिक्र पर कहा कि कोई हिंदू पक्षकार उस मुकदमे में नहीं था। इसलिए हिंदू पक्ष पर लागू नहीं होता है। यह भी दलील दी कि विशेष धर्म स्थल स्थल विधेयक 1991 इस वाद में प्रभावी नहीं है।
 

स्ट्रक्चर का पता नहीं कि मंदिर है या मस्जिद। जब ट्रायल होगा तभी पता चलेगा कि मस्जिद है या मंदिर जिसके ट्रायल का अधिकार सिविल कोर्ट को है। कहा कि ऐतिहासिक तथ्य है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने और मस्जिद बनवाने का आदेश दिया था। वक्फ एक्ट हिंदू पक्ष पर लागू नहीं होता है, ऐसे में यह वाद सुनवाई योग्य है और अंजुमन की तरफ से पोषणीयता के बिंदु पर दिया गया आवेदन खारिज होने योग्य है।

साथ ही राइट टू प्रॉपर्टी के तहत देवता को अपनी प्रॉपर्टी पाने का मौलिक अधिकार है। ऐसे में नाबालिग होने के कारण वाद मित्र के जरिये यह वाद दाखिल किया गया है। भगवान की प्रॉपर्टी है तब माइनर मानते हुए वाद मित्र के जरिये क्लेम किया जा सकता है। स्वीकृति से मालिकाना हक नहीं हासिल होता है। यह बताना पड़ेगा कि संपत्ति कहां से और कैसे मिली। अदालत में वाद के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की 6 रूलिंग और संविधान का हवाला भी दिया गया। 

वहीं मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता मुमताज अहमद, तौहीद खान, रईस अहमद, मिराजुद्दीन खान और एखलाक खान ने कोर्ट में प्रतिउत्तर में सवाल उठाए। कहा कि जब देवता की तरफ से मुकदमा किया गया तब वादी पक्ष की तरफ से पक्षकार 4 और 5 विकास शाह और विद्याचन्द्र कैसे वाद दाखिल कर सकते हैं। कहा कि वादी पक्ष आराजी संख्या 9130 के एक बीघा, 9 विस्वा 6 धूर के खसरा को गलत बता रहा है। तब यह वाद कैसे विश्वसनीय माना जाए।
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कहानी से कोर्ट नहीं चलती

एक तरफ कहा जा रहा है कि वाद देवता की तरफ से दाखिल है वहीं दूसरी तरफ पब्लिक से जुड़े लोग भी इस वाद में शामिल हैं। यह वाद किस बात पर आधारित है इसका कोई पेपर दाखिल नहीं किया गया है और कोई सबूत नहीं है। कहानी से कोर्ट नहीं चलती। कहानी और इतिहास में फर्क है। जो इतिहास है वही लिखा जाएगा साथ ही कानूनी नजीरें दाखिल कर कहा गया कि वाद सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाए। 

विस्तार

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज सुनवाई होनी है। बता दें कि हिंदू पक्ष द्वारा मांग की गई है कि परिसर में गैर हिंदू का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए। ज्ञानवापी मस्जिद गिराकर हिंदुओं को सौंपने, मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी वाद पर 15 अक्तूबर को सुनवाई हुई थी। आदेश के लिए आज की तिथि नियत की गई है। मामले पर कोर्ट क्या आदेश देगा उस पर सबकी नजर है। 

हिंदू पक्ष बोला- मस्जिद है या मंदिर ट्रायल से पता चलेगा

कहा कि पिलर और फाउंडेशन मंदिर का है। जब ट्रायल होगा तभी पता चलेगा कि वह मस्जिद है या मंदिर। दीन मोहम्मद के फैसले के जिक्र पर कहा कि कोई हिंदू पक्षकार उस मुकदमे में नहीं था। इसलिए हिंदू पक्ष पर लागू नहीं होता है। यह भी दलील दी कि विशेष धर्म स्थल स्थल विधेयक 1991 इस वाद में प्रभावी नहीं है।

 

ज्ञानवापी मस्जिद गिराकर हिंदुओं को सौंपने, मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक संबंधी वाद पर 15 अक्तूबर को सुनवाई हुई थी। आदेश के लिए आज की तिथि नियत की गई है।



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