डिप्टी सीएम सख्त : मरीजों-तीमारदारों के साथ मारपीट करने वाले जूनियर डॉक्टरों की निरस्त होगी डिग्री

0
25

[ad_1]

Prayagraj News :  डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निरीक्षण किया।

Prayagraj News : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निरीक्षण किया।
– फोटो : अमर उजाला।

ख़बर सुनें

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में बीते 27 अक्तूबर को जूनियर डॉक्टरों द्वारा तीमारदारों की पिटाई के मामले में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस प्रकार की घटना दोबारा हुई तो आरोपी जूनियर डॉक्टरों की पढ़ाई बीच में ही निरस्त कर दी जाएगी। कहा कि तीमारदार अपने मरीज को लेकर इलाज के लिए अस्पताल आते हैं। ऐसे में उनके साथ मानवता दिखाते हुए अच्छा व्यवहार करना चाहिए। 

डिप्टी सीएम ने कहा कि अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों से दुर्व्यवहार और मारपीट किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। एसआरएन में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पहले के समय में विभागाध्यक्ष और प्रॉक्टर पर छात्रों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं दिख रहा है। 27 अक्तूबर की घटना इस बात को पूरी तरह से साबित कर रही है।

उन्होंने एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह को निर्देश दिया कि आगे से प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष की जवाबदेही निर्धारित की जाए। प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष कॉलेज परिसर में घूमकर जूनियर डॉक्टरों के कार्यों और व्यवहार का मूल्यांकन करें। 

यह भी पढ़ें -  हाईकोर्ट का आदेश : विश्वेश्वरनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मामले की 29 मार्च से लगातार होगी सुनवाई

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में बीते 27 अक्तूबर को जूनियर डॉक्टरों द्वारा तीमारदारों की पिटाई के मामले में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस प्रकार की घटना दोबारा हुई तो आरोपी जूनियर डॉक्टरों की पढ़ाई बीच में ही निरस्त कर दी जाएगी। कहा कि तीमारदार अपने मरीज को लेकर इलाज के लिए अस्पताल आते हैं। ऐसे में उनके साथ मानवता दिखाते हुए अच्छा व्यवहार करना चाहिए। 

डिप्टी सीएम ने कहा कि अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों से दुर्व्यवहार और मारपीट किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। एसआरएन में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पहले के समय में विभागाध्यक्ष और प्रॉक्टर पर छात्रों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं दिख रहा है। 27 अक्तूबर की घटना इस बात को पूरी तरह से साबित कर रही है।

उन्होंने एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह को निर्देश दिया कि आगे से प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष की जवाबदेही निर्धारित की जाए। प्रॉक्टर और विभागाध्यक्ष कॉलेज परिसर में घूमकर जूनियर डॉक्टरों के कार्यों और व्यवहार का मूल्यांकन करें। 



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here