डीएनए एक्सक्लूसिव: एम्स साइबर अटैक मामले में बड़ा खुलासा

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एम्स दिल्ली में रैनसमवेयर हमले पर एम्स प्रशासन अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार नहीं है। हालात इतने खराब हैं, कि यह भी साफ नहीं हो पा रहा है कि एम्स के सर्वर हैकर्स के चंगुल से मुक्त हुए हैं या नहीं. हालांकि कहा जा रहा है कि धीरे-धीरे डेटा रिकवर हो रहा है, जिसके चलते ऑनलाइन ओपीडी शुरू की गई है. एम्स साइबर हमले की जांच दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई और एनआईसी द्वारा की जा रही है।

आज के डीएनए में, ज़ी न्यूज़ की अदिति त्यागी एम्स साइबर हमले के मामले में ज़ी मीडिया द्वारा एक्सेस किए गए विशेष दस्तावेजों का विश्लेषण करती हैं।

इन दस्तावेजों के मुताबिक, एम्स के सर्वर पर आखिरी ट्रांजैक्शन 23 नवंबर को सुबह 07:07 बजे हुआ था। कुछ देर बाद सर्वर हैक हो गया था। हैकर्स ने रैंसमवेयर को दो ईमेल आईडी-dogA2398@protonmail.com और mouse63209@protonmail.com के जरिए भेजा था।

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हैकर्स के लिए सर्वर हैकिंग कोई बड़ा काम नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्स नेटवर्क स्विच ‘कुप्रबंधित’ थे – ऐसा कुछ जिसके परिणामस्वरूप नेटवर्क का अपडेशन नहीं हुआ।

एम्स साइबर हमले के मामले को विस्तार से समझने के लिए डीएनए देखें।

क्या है एम्स रैंसमवेयर अटैक केस?

पीटीआई के सूत्रों के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली ने कथित तौर पर 23 नवंबर को एक साइबर हमले का सामना किया, जिससे उसके सर्वर ठप हो गए। सूत्रों ने कहा कि 25 नवंबर को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई द्वारा जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया गया था। जांच एजेंसियों की सिफारिशों के अनुसार इंटरनेट सेवाओं को अवरुद्ध कर दिया गया था।

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CERT-In, दिल्ली साइबर क्राइम स्पेशल सेल, इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर, इंटेलिजेंस ब्यूरो, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी आदि घटना की जांच कर रहे हैं।

एम्स के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कहा था कि ई-अस्पताल के डेटा को सर्वर पर बहाल कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को साफ किया जा रहा है।

डेटा की मात्रा और बड़ी संख्या में सर्वर और कंप्यूटर के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा था। एम्स ने कहा था कि साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने पूरी घटना का विवरण देते हुए कहा कि एम्स में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ई-हॉस्पिटल विभिन्न अस्पताल मॉड्यूल के लिए 24 सर्वर का उपयोग करता है और इनमें से चार सर्वर- ई-हॉस्पिटल के प्राथमिक और द्वितीयक डेटाबेस सर्वर, प्राथमिक एप्लिकेशन और प्राथमिक डेटाबेस प्रयोगशाला सूचना प्रणाली (एलआईएस) के सर्वर — रैंसमवेयर से संक्रमित थे।

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