थीम वेडिंग कम होने के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन बढ़ गया है। किसी को ऋषिकेश, मसूरी की हसीन वादियां भा रही हैं तो कुछ की पहली पसंद जिम कार्बेट जैसे अभ्यारण्य हैं। उधर, जयपुर और गोवा तो हैं ही सबकी पसंद। आम तौर पर अपने शहर में होने वाली शादियों पर 10-15 लाख का खर्च आता ही है। बाहर होने वाली शादियां भी इतने में या यूं कहिए एक-दो लाख के अंतर पर हो जाती हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग की यादें दूल्हा-दुल्हन के साथ रिश्तेदारों को भी ताउम्र याद रहती हैं।
शाही अंदाज जीवन भर रहेगा याद
शहर के उद्योगपति आरके शरन ने बेटे की शादी जयपुर जाकर की है। कहते हैं, हर माता-पिता का सपना होता है कि बच्चों की शादी को यादगार बनाएं। बस, इसलिए हम भी जयपुर के लिए निकल पड़े। सच बताऊं, हमारे 40 फीसदी मेहमानों ने कहा कि वे भी डेस्टिनेशन वेडिंग का विकल्प चुनेंगे। जयपुर के महलों में रचनात्मकता और भावनात्मकता का मेल दिखा। इसके लिए लोग ज्यादा खर्च करने के लिए भी तैयार हैं। यहां बुनियादी सुविधाएं भी बेहतर हैं, जिससे खुशियों में व्यवधान नहीं आता।
गंगा किनारे शादी की बेटी की थी ख्वाहिश
विकासनगर में रहने वाली नम्रता बताती हैं कि उनकी बेटी की शादी ऋषिकेश में हुई। उसकी ख्वाहिश थी कि गंगा किनारे सात फेरे हों। वह बेंगलूरू में नौकरी करती है और ससुराल भी वहीं हैं। वेडिंग प्लानर ने ऋषिकेश का नाम सुझाया। इस पर सभी की सहमति बन गई।
संबंधियों की पसंद मसूरी, वहीं घोड़ी चढ़ेगा बेटा
जॉपलिंग रोड निवासी मिनी वाजपेयी कहती हैं कि बेटे के ससुरालवालों की इच्छा थी कि उनकी बेटी मसूरी में दुल्हन बने। व्यक्तिगत रूप से मुझे यही सही लगता है कि अपनी ही स्थान से शादी होनी चाहिए, लेकिन बच्चों को नई जगहें पसंद आ रही हैं। वे इन पलों को यादगार बनाना चाहते हैं।
परिवारवाले टेंशन फ्री होकर इंज्वॉय करते हैं शादी
वेडिंग प्लानर हर्षिता विजय कहती हैं कि बीते छह वर्षों में काफी कुछ बदला है। इस बीच डेस्टिनेशन वेडिंग का आकर्षण बढ़ा है। 20 फीसदी तक शादियां डेस्टिनेशन वेडिंग में बदली हैं। जयपुर और गोवा तो हमेशा से पसंदीदा रहे हैं, पर इनके महंगे होने के कारण लोग ऋषिकेश, नैनीताल, जिम कार्बेट, मसूरी जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।
डेस्टिनेशन वेडिंग एक तरफ शादी को यादगार बनाती है तो दूसरी ओर यह कुछ हट कर होती है। परिवार सारा काम प्लानर पर छोड़कर टेंशन फ्री होकर शादी इंज्वॉय करते हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग पर रिश्तेदार भी पहुंचते हैं। वेडिंग प्लानर शिप्रा भदौरिया बताती हैं कि जो लोग शहर से बाहर जाकर शादी नहीं करना चाहते वे रिसोर्ट, वाटर पार्क जैसी जगह चुनते हैं। शहर से दूर जाकर इन जगहों पर वर-वधू पक्ष एक हफ्ते तक ठहरते हैं और शादी के समारोहों का आनंद उठाते हैं।