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उन्नाव। जिला अस्पताल के फीडर में फाल्ट से ढाई घंटे बिजली आपूर्ति बाधित रही। सलेक्ट्रा मशीन न चल पाने से खून की जांच प्रभावित रही। डायलिसिस के लिए मरीजों को देर शाम तक इंतजार करना पड़ा। उमस भरी गर्मी से वार्ड में भर्ती मरीज और तीमारदार भी परेशान रहे। जनरेटर से भी आपूर्ति नहीं दी गई।
जिला अस्पताल में बिजली के लिए लगे स्वतंत्र फीडर की केबल में छह अगस्त को फाल्ट आ गया था। कर्मियों ने उसे काम चलाऊ जोड़ दिया था। गुरुवार को दोबारा फाल्ट हो गया। दोपहर 2:30 बजे से शाम पांच बजे तक केबल बदलने का काम किया गया। पैथोलॉजी में सैंपल लेने के बाद समय से जांच नहीं हो पाई। मरीजों को दूसरे दिन रिपोर्ट लेने के लिए बुलाया गया। वहीं डायलिसिस के लिए आए मरीजों को भी इंतजार करना पड़ा।
शाम को स्थिति यह हो गई कि किसी मरीज की डेढ़ तो किसी की दो घंटे ही डायलिसिस की गई। सप्लाई पूरी तरह से बाधित होने से वार्डों में भर्ती मरीज भी परेशान रहे।
सीएमएस डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जिला अस्पताल में जिला अस्पताल में दो जेनरेटर लगे हुए हैं। जिसमें एक 125 किलोवाट व दूसरा 62 किलोवाट का है। 125 किलोवाट वाले जेनरेटर से डिजिटल एक्सरे व डायग्रोस्टिक सेंटर में लगी जांच मशीनों का संचालन होता है। 62 किलोवाट से इमरजेंसी, वार्ड में सप्लाई दी जाती है। लोड इतना है कि 250 किलोवाट क्षमता का जेनरेटर ही वहां काम कर सकता है। इसलिए परेशानी उठानी पड़ी।
उन्नाव। जिला अस्पताल के फीडर में फाल्ट से ढाई घंटे बिजली आपूर्ति बाधित रही। सलेक्ट्रा मशीन न चल पाने से खून की जांच प्रभावित रही। डायलिसिस के लिए मरीजों को देर शाम तक इंतजार करना पड़ा। उमस भरी गर्मी से वार्ड में भर्ती मरीज और तीमारदार भी परेशान रहे। जनरेटर से भी आपूर्ति नहीं दी गई।
जिला अस्पताल में बिजली के लिए लगे स्वतंत्र फीडर की केबल में छह अगस्त को फाल्ट आ गया था। कर्मियों ने उसे काम चलाऊ जोड़ दिया था। गुरुवार को दोबारा फाल्ट हो गया। दोपहर 2:30 बजे से शाम पांच बजे तक केबल बदलने का काम किया गया। पैथोलॉजी में सैंपल लेने के बाद समय से जांच नहीं हो पाई। मरीजों को दूसरे दिन रिपोर्ट लेने के लिए बुलाया गया। वहीं डायलिसिस के लिए आए मरीजों को भी इंतजार करना पड़ा।
शाम को स्थिति यह हो गई कि किसी मरीज की डेढ़ तो किसी की दो घंटे ही डायलिसिस की गई। सप्लाई पूरी तरह से बाधित होने से वार्डों में भर्ती मरीज भी परेशान रहे।
सीएमएस डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जिला अस्पताल में जिला अस्पताल में दो जेनरेटर लगे हुए हैं। जिसमें एक 125 किलोवाट व दूसरा 62 किलोवाट का है। 125 किलोवाट वाले जेनरेटर से डिजिटल एक्सरे व डायग्रोस्टिक सेंटर में लगी जांच मशीनों का संचालन होता है। 62 किलोवाट से इमरजेंसी, वार्ड में सप्लाई दी जाती है। लोड इतना है कि 250 किलोवाट क्षमता का जेनरेटर ही वहां काम कर सकता है। इसलिए परेशानी उठानी पड़ी।
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