तीनों लोक से न्यारी काशी में गंगा के तट पर दीपों की ज्योतिगंगा प्रवाहमान हो उठी। सात किलोमीटर के दायरे में दोनों छोरों पर सजी दीपों की आभा गंगा की लहरों पर सुनहरी आभा बिखेर रही थीं। गंगा के तट से लेकर पंचक्रोशी परिक्रमा के पथ पर दीप सजाए गए। श्री काशी विश्वनाथ धाम की पहली देव दीपावली पर पूरे परिसर को 50 टन फूलों से सजाया गया था। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देवाधिदेव महादेव की नगरी जगमगा उठी।
शाम को 5:15 बजे मां गंगा के अर्द्धचंद्राकार घाटों पर 10 लाख दीपों की आभा की रंगत हर किसी को देवलोक का आभास करा रही थी। लाखों दीपों की माला पहने हुए अर्द्धचंद्राकार घाटों पर ऐसा महसूस हो रहा था कि मां गंगा के आंचल में आसमान के सितारे उतर आए हों। आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित देव दीपावली की नयनाभिराम छटा को कैमरों में कैद करने की पर्यटकों में होड़ रही।
देव दीपावली पर गंगा और वरुणा के घाटों के साथ-साथ शहर और देहात के कुंड, सरोवर, तालाब, पोखरा, मंदिर आदि स्थानों पर दीप जलाए गए। कई जगहों पर भव्य आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
चेतसिंह घाट पर पहली बार थ्री डी प्रोजेक्शन मैपिंग लेजर शो के जरिए पुराणों की कहानियां जीवंत हुईं। गंगा की गोद में शिव भजनों का लेजर और लाइट मल्टीमीडिया शो होगा। श्री काशी विश्वनाथ धाम के सामने ग्रीन पटाखों की छटा भी पर्यटकों को लुभा रही थी।
देव दीपावली पर गंगा सेवा निधि की ओर से आयोजित मां गंगा की महाआरती शहीदों को समर्पित रही। अमरवीर योद्धाओं अश्वनी कुमार यादव और धरम देव कुमार को मरणोपरांत भगीरथ शौर्य सम्मान से सम्मानित किया गया। कारगिल विजय युद्ध के सेनानायक ले. जनरल मोहिंदर पुरी को भगीरथ अलंकरण से सम्मानित किया गया। दशाश्वमेध घाट पर 21 बटुक और 51 देव कन्याओं ने मां भगवती गंगा की महाआरती की।
15 फुट ऊंची भव्य अमर जवान ज्योति की अनुकृति पर संस्था के कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी ने संस्था की तरफ से रिथलेईंग की। 39जीटीसी के जवानों व संस्था के सदस्यों ने आकाश दीप प्रज्ज्वलित कर समापन किया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रो. रेवती साकलकर ने भजन संगीत एवं राष्ट्र गीत की प्रस्तुति दी।