ताजमहल पर जयपुर राजघराने का दावा: कहा- यह उनके पुरखों की विरासत, जानें आगरा से जुड़ा इसका इतिहास

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सार

जयपुर राजघराने की सदस्य एवं भाजपा सांसद दीया कुमारी ने दावा किया है कि जिस जगह पर ताजमहल बना है, वहां पर उनके राजघराने का महल था। इसके दस्तावेज भी मौजूद हैं। 

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ताजमहल को लेकर अब जयपुर के राजघराने ने बड़ा दावा किया है। जयपुर राजघराने की सदस्य एवं भाजपा सांसद दीया कुमारी ने कहा है कि जिस जगह पर ताजमहल बना है, वहां पर उनके राजघराने का महल था। उस समय मुगलों का शासन था, उन्होंने इसे ले लिया था। इसके दस्तावेज पोथीखाने में अभी भी मौजूद हैं। दीया कुमारी ने ताजमहल के तहखाने के कमरों को खुलवाने की मांग की है।

राजघराने की सदस्य दीया कुमारी के दावे की पुष्टि शाहजहां के उस फरमान से होती है, जो राजा जयसिंह को जारी किया गया था। शाहजहां ने जिस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, यहां पर राजा मानसिंह की हवेली थी। शाहजहां द्वारा यह फरमान राजा जयसिंह को हवेली देने के लिए जारी किया गया था।

शाहजहां ने मांगी थी राजा मानसिंह की हवेली 

ताजमहल में 35 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित बताते हैं कि इतिहास के अनुसार शहंशाह शाहजहां ने मुमताज को दफन करने के लिए राजा मानसिंह की हवेली मांगी थी। इसके बदले में राजा जयसिंह को चार हवेलियां दी गई थीं। इस फरमान की सत्यापित नकल जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में संरक्षित है।

ताज को लेकर हाईकोर्ट में दायर हुई है याचिका 

बता दें कि हाल ही में ताजमहल के बंद कमरों को खुलवाने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हो सकती हैं। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस जगह अभी ताजमहल है, वहां साल 1212 में राजा परमर्दिदेव ने भगवान शिव का मंदिर बनवाया था। 

इतिहास के अनुसार ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था, जो 20 साल में पूरा हो पाया। 1652 में औरंगजेब द्वारा शाहजहां को लिखे गए पत्र से इसके निर्माण पर सवाल उठे हैं। दरअसल, ताज के बनने के तुरंत बाद ही इसकी मरम्मत के लिए औरंगजेब ने शाहजहां को लिखा था। उसी पत्र को आधार बनाते हुए ताजमहल को राजा परमर्दिदेव का महल बताया जाता है।   

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4 दिसंबर 1652 को लिखा था औरंगजेब ने खत 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन ने अपनी पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन में लिखा है कि मुहर्रम की तीसरी तारीख को 4 दिसंबर 1652 को औरंगजेब जहांआरा के बाग में पहुंचे और अगले दिन उन्होंने चमकते हुए मकबरे को देखा। उसी भ्रमण में औरंगजेब ने शाहजहां को पत्र लिखकर बताया कि इमारत की नींव मजबूत है, लेकिन गुंबद से पानी टपक रहा है। 

औरंगजेब ने पत्र में लिखा कि ताजमहल की चारों छोटी छतरियां और गुंबद बारिश में लीक हो रही हैं। संगमरमर वाले गुंबद पर दो से तीन जगह से बारिश में पानी निकल रहा है। इसकी मरम्मत कराई गई है। देखते हैं कि अगली बारिश में क्या होगा। इस पत्र के आधार पर ही यह रहस्य गहराया कि अगर ताज 1652 में बना था तो गुंबद इतनी जल्दी कैसे लीक हो गया ? 

विस्तार

ताजमहल को लेकर अब जयपुर के राजघराने ने बड़ा दावा किया है। जयपुर राजघराने की सदस्य एवं भाजपा सांसद दीया कुमारी ने कहा है कि जिस जगह पर ताजमहल बना है, वहां पर उनके राजघराने का महल था। उस समय मुगलों का शासन था, उन्होंने इसे ले लिया था। इसके दस्तावेज पोथीखाने में अभी भी मौजूद हैं। दीया कुमारी ने ताजमहल के तहखाने के कमरों को खुलवाने की मांग की है।

राजघराने की सदस्य दीया कुमारी के दावे की पुष्टि शाहजहां के उस फरमान से होती है, जो राजा जयसिंह को जारी किया गया था। शाहजहां ने जिस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, यहां पर राजा मानसिंह की हवेली थी। शाहजहां द्वारा यह फरमान राजा जयसिंह को हवेली देने के लिए जारी किया गया था।

शाहजहां ने मांगी थी राजा मानसिंह की हवेली 

ताजमहल में 35 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित बताते हैं कि इतिहास के अनुसार शहंशाह शाहजहां ने मुमताज को दफन करने के लिए राजा मानसिंह की हवेली मांगी थी। इसके बदले में राजा जयसिंह को चार हवेलियां दी गई थीं। इस फरमान की सत्यापित नकल जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में संरक्षित है।

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