ताजमहल विवाद: जगद्गुरु परमहंस दास को क्यों रोका गया?  महंत ने बताया बड़ा कारण, हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश 

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सार

अयोध्या के संत परमहंस दास मंगलवार को अपने शिष्यों के साथ ताजमहल देखने के लिए पहुंचे थे, लेकिन सीआईएसएफ ने उन्हें रोक दिया।

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अयोध्या से आगरा आए जगद्गुरु परमहंस दास  को ताजमहल में प्रवेश नहीं दिया गया। महंत ने खुलकर बताया कि वे भगवा कपड़े पहने थे और उनके हाथ में ब्रह्मदंड था। इसलिए सीआईएसएफ ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया। वहीं इस मामले की जानकारी होने पर हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश है।  

अयोध्या की तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास मंगलवार को ताजमहल में प्रवेश नहीं कर सके। वह ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ ने उनसे ब्रह्मदंड को गेट पर रखने और ताज देखने के बाद लौटने पर वापस लेने का आग्रह किया था, लेकिन वह ब्रह्मदंड के साथ ही ताज में प्रवेश करना चाहते थे। रोकने पर वह वापस चले आए। उन्होंने इस मामले में प्रवेश के नियमों को लेकर नाराजगी जताई।

तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास अलीगढ़ में महिला भक्त को आशीर्वाद देने के बाद मंगलवार को आगरा आए थे। ताजमहल देखने के लिए वह दो शिष्यों के साथ पहुंचे। पश्चिमी गेट पर शाम को 5.35 बजे वह पहुंचे तो सीआईएसएफ ने उन्हें ब्रह्मदंड अंदर ले जाने से रोक दिया। इस पर वह नाराज हो गए। 

संत ने कहा – शिव मंदिर है ताजमहल

परमहंस दास के मुताबिक ताजमहल शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इस मामले में एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में प्रवेश के लिए नियम तय हैं। संत अपने साथ अंदर लोहे का दंड ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें मना किया गया। उनके प्रवेश पर कोई मनाही नहीं थी। ब्रह्मदंड गेट पर रखने का आग्रह किया गया था, लेकिन वह तैयार नहीं हुए।

धार्मिक और प्रमोशनल गतिविधि हैं प्रतिबंधित 

नियम के अनुसार ताजमहल के अंदर किसी भी प्रकार की धार्मिक और प्रमोशनल गतिविधि नहीं की जा सकती है। केवल शुक्रवार के दिन ही यहां स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ी जाती है। शाहजहां के उर्स के तीन दिनों के दौरान यहां इबादत का दौर चलता है। 

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विस्तार

अयोध्या से आगरा आए जगद्गुरु परमहंस दास  को ताजमहल में प्रवेश नहीं दिया गया। महंत ने खुलकर बताया कि वे भगवा कपड़े पहने थे और उनके हाथ में ब्रह्मदंड था। इसलिए सीआईएसएफ ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया। वहीं इस मामले की जानकारी होने पर हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश है।  

अयोध्या की तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास मंगलवार को ताजमहल में प्रवेश नहीं कर सके। वह ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ ने उनसे ब्रह्मदंड को गेट पर रखने और ताज देखने के बाद लौटने पर वापस लेने का आग्रह किया था, लेकिन वह ब्रह्मदंड के साथ ही ताज में प्रवेश करना चाहते थे। रोकने पर वह वापस चले आए। उन्होंने इस मामले में प्रवेश के नियमों को लेकर नाराजगी जताई।

तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास अलीगढ़ में महिला भक्त को आशीर्वाद देने के बाद मंगलवार को आगरा आए थे। ताजमहल देखने के लिए वह दो शिष्यों के साथ पहुंचे। पश्चिमी गेट पर शाम को 5.35 बजे वह पहुंचे तो सीआईएसएफ ने उन्हें ब्रह्मदंड अंदर ले जाने से रोक दिया। इस पर वह नाराज हो गए। 

संत ने कहा – शिव मंदिर है ताजमहल

परमहंस दास के मुताबिक ताजमहल शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इस मामले में एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में प्रवेश के लिए नियम तय हैं। संत अपने साथ अंदर लोहे का दंड ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें मना किया गया। उनके प्रवेश पर कोई मनाही नहीं थी। ब्रह्मदंड गेट पर रखने का आग्रह किया गया था, लेकिन वह तैयार नहीं हुए।

धार्मिक और प्रमोशनल गतिविधि हैं प्रतिबंधित 

नियम के अनुसार ताजमहल के अंदर किसी भी प्रकार की धार्मिक और प्रमोशनल गतिविधि नहीं की जा सकती है। केवल शुक्रवार के दिन ही यहां स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ी जाती है। शाहजहां के उर्स के तीन दिनों के दौरान यहां इबादत का दौर चलता है। 

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