दुधवा में बाघों की मौत: कारणों की जांच के साथ बदलते हालात का भी अध्ययन जरूरी; वन्यजीव विशेषज्ञों का सुझाव

0
15

[ad_1]

Study of changing climate along with investigation of reasons for tigers death in Dudhwa

बाघ (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में 40 दिन के अंदर चार बाघों और एक तेंदुए की मौत से वन विभाग में खलबली मची हुई है। बाघ और तेंदुओं की मौत के कारणों की जांच कई स्तर से हो रही है। प्रदेश के उच्च वनाधिकारियों के अलावा केंद्रीय कमेटी भी जांच में जुटी है। उधर, वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल की बदलती आबोहवा के साथ बाघों के स्वभाव में भी बदलाव आ रहा है। जांच के साथ इस पर व्यापक अध्ययन करने की भी जरूरत है।

युवराजदत्त महाविद्यालय के सेवानिवृत्त जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष और वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार आगा का कहना है कि भीषण गर्मी के कारण बाघों का स्वभाव उग्र हो रहा है। इससे बाघों के बीच आपसी संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह भी देखना होगा कि पालतू और छुट्टा जानवरों के संपर्क में आने और उन्हें खाने से बाघ, तेंदुए किसी बीमारी का शिकार तो नहीं हो रहे हैं, जो इनके लिए घातक बनती जा रही है। 

यह भी पढ़ें -  UP Budget 2023: योगी सरकार ने पेश किया भारी-भरकम बजट, पढ़ें बजट से जुड़ी 10 बड़ी घोषणाएं

आलसी हो रहे बाघ 

दुधवा टाइगर रिजर्व के ही पशु चिकित्सक डॉ. दयाशंकर का कहना है कि बाघ धीरे धीरे आलसी हो रहे हैं। इसके कारण वे आसान शिकार की तलाश में बाहर निकल रहे और किसी न किसी कारण खतरे में पड़ रहे हैं।

ये भी पढ़ें- भांजे ने की मामी की हत्या: ऐसा क्या देखा कि खौल उठा खून ? पेट में कई बार घोंपा चाकू, बेरहमी से ली जान

 

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here