कानपुर निवासी मामा, भांजे की हत्या कर दी गई। झंझरिया जलाला गांव के पास बीच जंगल में कुएं में बुधवार शाम उनकी बाइक और शव पड़े मिले। हमीरपुर जिले के पत्योरा निवासी संतराम और उसके मामा रामस्वरूप ने जिसका नमक खाया उसी के साथ गद्दारी कर दी। ये दोनों जिस एनजीओ में काम करते थे, पहले वहां गबन किया, फिर तगादे पर बच्चों को मौत के घाट उतार दिया।
बर्रा निवासी प्रिया शर्मा ने बताया कि उनके पिता दयाराम जन कल्याण बाल उत्थान सेवा संस्थान नाम का घाटमपुर क्षेत्र में एनजीओ चलाते थे। इसमें संतराम और रामस्वरूप काम करते थे। तीन वर्ष पूर्व पिता सड़क हादसे में घायल हो गए थे। उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई थी।
उनके बाद संतराम और रामस्वरूप ही पिता के एनजीओ का काम देेखते रहे। पैसों का लेनदेन भी वही करते थे। इसी बीच दोनों ने उनके 20-25 लाख रुपये हड़प लिए। पिता ने कई बार उनसे हिसाब कराने की बात कही, लेकिन वे दोनों टालते रहे। 10 सितंबर 2021 को उनके पिता की मौत हो गई।
इस पर भाई मयंक हिसाब करने के लिए संतराम व उसके मामा रामस्वरूप के पास जाते रहते थे। बीती नौ मार्च को भी मयंक तगादे के लिए पत्योरा गया था। 12 मार्च को संतराम ने फोन कर मयंक को यह कहकर बुलाया कि उसके मामा रामस्वरूप सड़क हादसे में घायल हो गए हैं। उन्हें देखने जाना है। इस पर मयंक अपने भांजे विपुल के साथ बाइक से पत्योरा गांव आया था, उसके बाद से ही दोनों के फोन बंद हो गए थे।
रुपये न देने पड़ें, इसलिए उतारा मौत के घाट
मयंक की बहन प्रिया शर्मा के मुताबिक उनके पिता दयाराम जन कल्याण बाल उत्थान सेवा संस्थान नाम का एनजीओ चलाते थे। संतराम व उसका मामा रामस्वरूप एनजीओ का पूरा काम देखते थे। आरोप है कि दोनों ने मिलकर दयाराम पिता के करीब 25 लाख रुपये पार कर दिए। इधर पिछले साल सितंबर में पिता दयाराम की मौत हो गई। तब से भाई मयंक संतराम से अपने रुपये मांग रहा था। पैसे न देने पड़ें, इसलिए आरोपियों ने मयंक को मारने की साजिश रची। चूंकि उसके साथ विपुल भी पहुंच गया। इसलिए उसे भी मार दिया। हमीरपुर पुलिस अधीक्षक कमलेश दीक्षित ने बताया कि मामले में संतराम, उसके पिता शंकरी निषाद व रामस्वरूप को गिरफ्तार कर लिया गया है। शव को मोर्चरी भेज दिया गया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इधर कानपुर पुलिस की एक टीम हमीरपुर देर रात पहुंची।
9 मार्च को भी बुलाया था, घर पर ही की हत्या
पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने मयंक को 9 मार्च को भी बुलाया था। मगर उस दिन वह वारदात को अंजाम नहीं दे सके थे। इसलिए तीन दिन बाद दोबारा बहाने से बुलाया। आरोपियों ने दोनों को घर में ही मार दिया था। उसके बाद दोनों के शव अलग-अलग बोरे में भरे। उसके बाद कुएं में शव फेंक दिए। बाइक को तोड़कर कुएं में ही डाल दिया था।
शातिर अपराधी हैं आरोपी, केंद्रीय मंत्री के नाम पर की ठगी
हत्यारोपियों का आपराधिक इतिहास है। आरोपी शंकरी डकैत भाऊ सिंह, गजरात सिंह व रामकरन के गिरोह में रहा है। उसके खिलाफ हत्या, लूट, डकैती के कई केस दर्ज हैं। संतराम व रामस्वरूप के साथ मिलकर एक केंद्रीय मंत्री के नाम पर ग्रामीणों से धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की ठगी की थी। एसपी ने बताया कि करीब 250 से 300 लोगों को सिलाई मशीन देने व आवास दिलाने के नाम पर 20 लाख की ठगी की थी।