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उन्नाव। जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लगी सेलेक्ट्रा (एनालाइजर) मशीन दो दिन से खराब है। इससे किडनी और लीवर के साथ लिपिड प्रोफाइल जांच नहीं हो पा रही है। मरीज बिना जांच कराए ही लौटने के लिए मजबूर हैं। गुरुवार को ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने के बाद करीब 70 मरीज जांच के लिए पहुंचे लेकिन, उनके सैंपल नहीं लिए गए। उन्हें शुक्रवार को आने के लिए कहा गया।
ठंड ने दबे पांव दस्तक दे दी है। इसके साथ ही मौसमी बीमारियों भी फैल रही हैं। इससे जिला अस्पताल की ओपीडी में इस समय मरीजों की भीड़ हो रही है। रोजाना 700 से 800 के बीच मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें 100 से 150 मरीज पेट में दिक्कत होने की शिकायतें लेकर आते हैं। इनमें से ज्यादा मरीजों को डॉक्टर केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट) और एलएफटी (लीवर फंक्शन टेस्ट) की जांच लिख रहे हैं।
पैथोलॉजिस्ट ने बताया कि सेलेक्ट्रा मशीन से यह दोनों जांचें होती हैं। मशीन में एक बार में 50 सैंपल लगाए जाते हैं। जरूरत पर अधिकतम 100 सैंपल की भी जांच की सकती है। इस समय रोजाना करीब 180 सैंपल किडनी और लीवर जांच से संबंधित आ रहे हैं। सैंपलों की संख्या अधिक होने से तीन से चार बार मशीन चलानी पड़ रही है।
क्षमता से ज्यादा संचालित होने से एनालाइजर मशीन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे आए दिन किसी न किसी तकनीकी खामी से मशीन खराब हो जाती है। मंगलवार देर शाम मशीन में सैंपल उठाने वाली बेल्ट टूट गई। सैंपल लोड न होने से जांच बंद हो गई है। मरीजों के ब्लड सैंपल भी नहीं लिए जा रहे हैं। बना जांच रिपोर्ट डॉक्टर भी दवाएं नहीं लिखते हैं। गंभीर मरीजों ने प्राइवेट पैथोलॉजी में महंगी जांच कराई। अन्य मरीजों ने शुक्रवार को आने की बात कही।
जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लगी एनालाइजर मशीन ढाई महीने में पांच बार खराब हो चुकी है। सितंबर महीने में दो बार, अक्तूबर में दो बार और नवंबर महीने में फिर खराब हो गई। इससे परेशान सिर्फ मरीज होता है। मशीन खराब होने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की जा सकी है।
पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनीत कुमार वर्मा ने बताया कि एनालाइजर मशीन में सैंपल लेने वाली कनवे बेल्ट टूटने से जांच नहीं हो पा रही है। साइरेक्स कंपनी के इंजीनियर मशीन बनाते हैं। इंजीनियर को सूचना दे दी गई है। शुक्रवार से जांच शुरू होने की उम्मीद है।
उन्नाव। जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लगी सेलेक्ट्रा (एनालाइजर) मशीन दो दिन से खराब है। इससे किडनी और लीवर के साथ लिपिड प्रोफाइल जांच नहीं हो पा रही है। मरीज बिना जांच कराए ही लौटने के लिए मजबूर हैं। गुरुवार को ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने के बाद करीब 70 मरीज जांच के लिए पहुंचे लेकिन, उनके सैंपल नहीं लिए गए। उन्हें शुक्रवार को आने के लिए कहा गया।
ठंड ने दबे पांव दस्तक दे दी है। इसके साथ ही मौसमी बीमारियों भी फैल रही हैं। इससे जिला अस्पताल की ओपीडी में इस समय मरीजों की भीड़ हो रही है। रोजाना 700 से 800 के बीच मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें 100 से 150 मरीज पेट में दिक्कत होने की शिकायतें लेकर आते हैं। इनमें से ज्यादा मरीजों को डॉक्टर केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट) और एलएफटी (लीवर फंक्शन टेस्ट) की जांच लिख रहे हैं।
पैथोलॉजिस्ट ने बताया कि सेलेक्ट्रा मशीन से यह दोनों जांचें होती हैं। मशीन में एक बार में 50 सैंपल लगाए जाते हैं। जरूरत पर अधिकतम 100 सैंपल की भी जांच की सकती है। इस समय रोजाना करीब 180 सैंपल किडनी और लीवर जांच से संबंधित आ रहे हैं। सैंपलों की संख्या अधिक होने से तीन से चार बार मशीन चलानी पड़ रही है।
क्षमता से ज्यादा संचालित होने से एनालाइजर मशीन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे आए दिन किसी न किसी तकनीकी खामी से मशीन खराब हो जाती है। मंगलवार देर शाम मशीन में सैंपल उठाने वाली बेल्ट टूट गई। सैंपल लोड न होने से जांच बंद हो गई है। मरीजों के ब्लड सैंपल भी नहीं लिए जा रहे हैं। बना जांच रिपोर्ट डॉक्टर भी दवाएं नहीं लिखते हैं। गंभीर मरीजों ने प्राइवेट पैथोलॉजी में महंगी जांच कराई। अन्य मरीजों ने शुक्रवार को आने की बात कही।
जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में लगी एनालाइजर मशीन ढाई महीने में पांच बार खराब हो चुकी है। सितंबर महीने में दो बार, अक्तूबर में दो बार और नवंबर महीने में फिर खराब हो गई। इससे परेशान सिर्फ मरीज होता है। मशीन खराब होने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की जा सकी है।
पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनीत कुमार वर्मा ने बताया कि एनालाइजर मशीन में सैंपल लेने वाली कनवे बेल्ट टूटने से जांच नहीं हो पा रही है। साइरेक्स कंपनी के इंजीनियर मशीन बनाते हैं। इंजीनियर को सूचना दे दी गई है। शुक्रवार से जांच शुरू होने की उम्मीद है।
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