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यूपी नगर निकाय चुनाव
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अलीगढ़ नगर निगम के सीमा विस्तार के बाद दिसंबर में मेयर पद ओबीसी के लिए आरक्षित यूं ही नहीं किया गया था। आबादी अनुपात और आरक्षण चक्र के अनुसार शहर में दूसरे सर्वाधिक आबादी वाले पिछड़ा वर्ग का दावा सबसे मजबूत था। मगर प्रदेश की अन्य निकायों में ओबीसी कोटे को लेकर दाखिल हुई आपत्तियों और अदालती दखल ने अलीगढ़ मेयर पद पर पिछड़ा वर्ग के दावेदारों ने सपने चकनाचूर कर दिए। अब चूंकि नई व्यवस्था के अनुसार आरक्षण चक्र शून्य से शुरू हुआ है। जिसमें सर्वाधिक आबादी वाली सामान्य श्रेणी के लिए यह पद अनारिक्षत रखा गया है। ऐसे में अब पिछड़ा वर्ग को मेयर पद पर खुद के दावे के लिए इंतजार करना होगा।
दिसंबर में लागू आरक्षण प्रक्रिया में ओबीसी कोटे में कटौती को लेकर आपत्तियां दाखिल हुईं और मसला अदालत तक पहुंचा। इसके चलते बनाई गई ओबीसी आरक्षण सर्वे समिति की सिफारिश के अनुसार अब आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के चलते आरक्षण चक्र निकाय चुनाव-2022/23 को शून्य से शुरू किया गया है।
ऐसे में माना जा रहा है कि हर निकाय में सर्वाधिक आबादी वाले वर्ग को ही मौका दिया गया है। चूंकि अपने शहर की आबादी अनुपात में सामान्य श्रेणी सर्वाधिक है, इसलिए नए चक्र में सबसे पहले मेयर पद पर सामान्य श्रेणी को मौका देते हुए अनारिक्षत रखा गया है। इसी अनुपात में नगर निगम के 90 वार्डों में आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है। हालांकि उसमें दिसंबर के आरक्षण प्रस्ताव के अनुसार कोई बड़ा बदलाव नहीं है।
इस तरह आरक्षण व्यवस्था लागू होने के संकेत
मेयर पद का का आरक्षण प्रदेश के कुल नगर निगमों की आबादी के अनुसार होने के संकेत हैं। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष पद का आरक्षण मंडल की कुल नगर पालिकाओं की आबादी के अनुसार और नगर पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण जिले की कुल नगर पंचायतों की आबादी के अनुसार होने के संकेत हैं। हालांकि इस संबंध में अधिकारिक कोई शासनादेश नहीं आया है। मगर जारी आरक्षण को देखकर जानकर यही व्यवस्था होना मान रहे हैं।
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