नर्सिंगहोम- कागजों में बंद, हकीकत में खुले हैं पीछे के दरवाजे

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उन्नाव। जिले के 22 नर्सिंगहोम के पास अग्निशमन विभाग की एनओसी न होने पर नवीनीकरण निरस्त कर दिया गया था। सीएमओ ने नोटिस जारी कर एनओसी न देने तक इन अस्पतालों के संचालन पर रोक लगाई है, लेकिन हकीकत यह है कि सभी संचालित हैं। बाकायदा मरीज भी भर्ती किए जा रहे हैं और ओपीडी भी संचालित है।
निजी अस्पतालों के हर साल होने वाली नवीनीकरण प्रक्रिया में जिले के 22 अस्पताल ऐसे मिले थे जिनके पास फायर एनओसी तो दूर अस्पताल में आग से बचाव के उपकरण तक नहीं लगे हुए थे। आवेदन के बाद शासन स्तर से कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। सीएमओ ने इनके आवेदन निरस्त कर दिए थे। उसके बाद भी चोरी छिपे संचालन हो रहा था। इसकी जानकारी पर सीएमओ ने 31 अक्तूबर को संचालकों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी कि संचालन पाया गया तो रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। लेकिन सारी कवायद अब तक कागजों तक सीमित है।

सुंदर टाकीज वाली गली में संचालित महक हॉस्पिटल भी संचालित मिला। यहां तो गेट खुला हेने के बाद बाहर कुछ लोग भी बैठे थे। पूछने पर बताया कि वह डॉक्टर को दिखाने आए हैं। अस्पताल का गेट खुला था। बाहर वाहन भी खड़े हुए थे। जबकि पूर्णतया बंद करने के निर्देश हैं।

सीएमओ कार्यालय से मात्र 50 कदम की दूरी पर संचालित चरक हॉस्पिटल को भी बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन बुधवार को दोपहर 12:30 बजे वह खुला हुआ था। संचालक और दलाल सभी गेट के बाहर खड़े हुए थे। यहां तक कि अस्पताल का बोर्ड भी नहीं हटा था। आसपास के लोगों से जानकारी ली गई तो पता चला कि चोरी छिपे काम चल रहा है।

जिला अस्पताल से आधा किलोमीटर और सदर कोतवाली के ठीक सामने संचालित सीपी मेमोरियल नर्सिंगहोम भी संचालित मिला। मरीज अस्पताल में भर्ती थे। जबकि तीमारदार बाहर बैठे हुए थे। अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर भी संचालित था। अब सवाल यह उठता है कि शासन से मानक विहीन घोषित होने के बाद शहर के अवैध निजी अस्पताल संचालित हैं। तो ग्रामीण क्षेत्रों का संचालन तो धड़ल्ले से हा रहा होगा।
क्या बोले एसीएमओ
नर्सिंगहोम प्रभारी एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने बताया कि अवैध नर्सिंगहोम संचालकों को रजिस्टर्ड नोटिस भेजा गया है। एक दो दिन में नोटिस तामील हो जाएगा। इसके बाद निरीक्षण में जो भी संचालित मिलेगा संचालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।

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उन्नाव। जिले के 22 नर्सिंगहोम के पास अग्निशमन विभाग की एनओसी न होने पर नवीनीकरण निरस्त कर दिया गया था। सीएमओ ने नोटिस जारी कर एनओसी न देने तक इन अस्पतालों के संचालन पर रोक लगाई है, लेकिन हकीकत यह है कि सभी संचालित हैं। बाकायदा मरीज भी भर्ती किए जा रहे हैं और ओपीडी भी संचालित है।

निजी अस्पतालों के हर साल होने वाली नवीनीकरण प्रक्रिया में जिले के 22 अस्पताल ऐसे मिले थे जिनके पास फायर एनओसी तो दूर अस्पताल में आग से बचाव के उपकरण तक नहीं लगे हुए थे। आवेदन के बाद शासन स्तर से कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ है। सीएमओ ने इनके आवेदन निरस्त कर दिए थे। उसके बाद भी चोरी छिपे संचालन हो रहा था। इसकी जानकारी पर सीएमओ ने 31 अक्तूबर को संचालकों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी कि संचालन पाया गया तो रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। लेकिन सारी कवायद अब तक कागजों तक सीमित है।



सुंदर टाकीज वाली गली में संचालित महक हॉस्पिटल भी संचालित मिला। यहां तो गेट खुला हेने के बाद बाहर कुछ लोग भी बैठे थे। पूछने पर बताया कि वह डॉक्टर को दिखाने आए हैं। अस्पताल का गेट खुला था। बाहर वाहन भी खड़े हुए थे। जबकि पूर्णतया बंद करने के निर्देश हैं।



सीएमओ कार्यालय से मात्र 50 कदम की दूरी पर संचालित चरक हॉस्पिटल को भी बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन बुधवार को दोपहर 12:30 बजे वह खुला हुआ था। संचालक और दलाल सभी गेट के बाहर खड़े हुए थे। यहां तक कि अस्पताल का बोर्ड भी नहीं हटा था। आसपास के लोगों से जानकारी ली गई तो पता चला कि चोरी छिपे काम चल रहा है।



जिला अस्पताल से आधा किलोमीटर और सदर कोतवाली के ठीक सामने संचालित सीपी मेमोरियल नर्सिंगहोम भी संचालित मिला। मरीज अस्पताल में भर्ती थे। जबकि तीमारदार बाहर बैठे हुए थे। अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर भी संचालित था। अब सवाल यह उठता है कि शासन से मानक विहीन घोषित होने के बाद शहर के अवैध निजी अस्पताल संचालित हैं। तो ग्रामीण क्षेत्रों का संचालन तो धड़ल्ले से हा रहा होगा।

क्या बोले एसीएमओ

नर्सिंगहोम प्रभारी एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने बताया कि अवैध नर्सिंगहोम संचालकों को रजिस्टर्ड नोटिस भेजा गया है। एक दो दिन में नोटिस तामील हो जाएगा। इसके बाद निरीक्षण में जो भी संचालित मिलेगा संचालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।



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