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उन्नाव। अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम में खुले मेडिकल स्टोर भी औषधि विभाग में पंजीकृत नहीं है। नर्सिंग होम संचालक बिना लाइसेंस के ही मेडिकल स्टोर से मरीजों को महंगी दवाएं बांट रहे हैं। अस्पतालों की मोटी कमाई हो रही है जबकि मरीजों की जेब ढीली हो रही है।
नर्सिंग होम में डॉक्टर पर्चे पर ऐसी दवाएं लिखते हैं, जो सिर्फ संबंधित मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं। प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल स्टोर के लिए औषधि विभाग की स्वीकृति और लाइसेंस लेना जरूरी है।
इसके विपरीत धड़ल्ले से इनका संचालन हो रहा है। कई बार मरीजों के तीमारदारों से बहस भी हो जाती है। तीमारदार बाहर से दवा खरीदकर लाता है तो उसे गलत और कम फायदेमंद बता दिया जाता है। अधिकांश नर्सिंग होम संचालक मेडिसिन रूम की आड़ में मेडिकल स्टोर का संचालन कर मोटी कमाई कर रहे हैं।
जांच कराई जाएगी
औषधि निरीक्षक अजय कुमार संतोषी ने बताया कि मेडिकल स्टोर की जांच कराई जाएगी। बिना लाइसेंस संचालन मिला तो कार्रवाई होगी।
उन्नाव। अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम में खुले मेडिकल स्टोर भी औषधि विभाग में पंजीकृत नहीं है। नर्सिंग होम संचालक बिना लाइसेंस के ही मेडिकल स्टोर से मरीजों को महंगी दवाएं बांट रहे हैं। अस्पतालों की मोटी कमाई हो रही है जबकि मरीजों की जेब ढीली हो रही है।
नर्सिंग होम में डॉक्टर पर्चे पर ऐसी दवाएं लिखते हैं, जो सिर्फ संबंधित मेडिकल स्टोर पर ही मिलती हैं। प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल स्टोर के लिए औषधि विभाग की स्वीकृति और लाइसेंस लेना जरूरी है।
इसके विपरीत धड़ल्ले से इनका संचालन हो रहा है। कई बार मरीजों के तीमारदारों से बहस भी हो जाती है। तीमारदार बाहर से दवा खरीदकर लाता है तो उसे गलत और कम फायदेमंद बता दिया जाता है। अधिकांश नर्सिंग होम संचालक मेडिसिन रूम की आड़ में मेडिकल स्टोर का संचालन कर मोटी कमाई कर रहे हैं।
जांच कराई जाएगी
औषधि निरीक्षक अजय कुमार संतोषी ने बताया कि मेडिकल स्टोर की जांच कराई जाएगी। बिना लाइसेंस संचालन मिला तो कार्रवाई होगी।
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