नवजातों के पंजीकरण में जिला प्रथम

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उन्नाव। नवजात बच्चों के पंजीयन में जिला प्रदेश में पहले स्थान पर आया है। जबकि अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में एक माह में 34वें पायदान से खिसक कर 38वें पर पहुंच गया है। समीक्षा बैठक में डीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण कम है। अगली मासिक रैंकिंग में जिले को टॉप पर पहुंचाएं।
हेल्थ मैनेजमेंट इंटीग्रेटेड सर्वे पोर्टल के मानकों के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मामले में जारी हुई सर्वे रिपोर्ट में जिले को प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरसीएच) में बच्चों के पंजीकरण में जिले को पहला व गर्भवतियों के पंजीयन में तीसरा स्थान मिला है।
जबकि आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान, महिलाओं द्वारा अपनाए गए परिवार नियोजन के साधन और प्रसव पूर्व जांचों में सर्वाधिक जांच कराने, प्रसव पूर्व गर्भवती महिलाओं की चार से अधिक जांचों के साथ बच्चों व गर्भवतियों का टीकाकरण निश्चय पोर्टल पर मरीजों का ब्योरा फीड न होने से जिला प्रदेश में 38 वें स्थान पर आया है। जबकि पिछले साल यह रैंकिंग 34 थीं। स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन में बरती जा रही लापरवाही पर डीएम रवींद्र कुमार ने नाराजगी जताई है। स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ्य के जिन कार्यक्रमों का सूचकांक गिरा है। उनको उठाया जाए ताकि अगले महीने बनने वाली रिपोर्ट में रैंकिंग में सुधार हो सके।
एक एसीएमओ के पास हैं कई चार्ज
एसीएमओ डॉ. नरेंद्र सिंह के पास कोविड टीकाकरण के साथ बच्चों व गर्भवतियों के टीकाकरण की भी जिम्मेदारी है। इससे न ही कोविड टीकाकरण की गति बढ़ पा रही है और न ही अन्य टीकाकरण की गति बढ़ी है। रैंकिंग कम होने का एक कारण यह भी है। टीकाकरण का यह चार्ज अलग-अलग एसीएमओ में वितरित किए जाएं तो इसमें सुधार होने की संभावना है।

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उन्नाव। नवजात बच्चों के पंजीयन में जिला प्रदेश में पहले स्थान पर आया है। जबकि अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में एक माह में 34वें पायदान से खिसक कर 38वें पर पहुंच गया है। समीक्षा बैठक में डीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण कम है। अगली मासिक रैंकिंग में जिले को टॉप पर पहुंचाएं।

हेल्थ मैनेजमेंट इंटीग्रेटेड सर्वे पोर्टल के मानकों के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मामले में जारी हुई सर्वे रिपोर्ट में जिले को प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरसीएच) में बच्चों के पंजीकरण में जिले को पहला व गर्भवतियों के पंजीयन में तीसरा स्थान मिला है।

जबकि आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान, महिलाओं द्वारा अपनाए गए परिवार नियोजन के साधन और प्रसव पूर्व जांचों में सर्वाधिक जांच कराने, प्रसव पूर्व गर्भवती महिलाओं की चार से अधिक जांचों के साथ बच्चों व गर्भवतियों का टीकाकरण निश्चय पोर्टल पर मरीजों का ब्योरा फीड न होने से जिला प्रदेश में 38 वें स्थान पर आया है। जबकि पिछले साल यह रैंकिंग 34 थीं। स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन में बरती जा रही लापरवाही पर डीएम रवींद्र कुमार ने नाराजगी जताई है। स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ्य के जिन कार्यक्रमों का सूचकांक गिरा है। उनको उठाया जाए ताकि अगले महीने बनने वाली रिपोर्ट में रैंकिंग में सुधार हो सके।

एक एसीएमओ के पास हैं कई चार्ज

एसीएमओ डॉ. नरेंद्र सिंह के पास कोविड टीकाकरण के साथ बच्चों व गर्भवतियों के टीकाकरण की भी जिम्मेदारी है। इससे न ही कोविड टीकाकरण की गति बढ़ पा रही है और न ही अन्य टीकाकरण की गति बढ़ी है। रैंकिंग कम होने का एक कारण यह भी है। टीकाकरण का यह चार्ज अलग-अलग एसीएमओ में वितरित किए जाएं तो इसमें सुधार होने की संभावना है।

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