निर्णय : हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपितों को किया बरी

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 04 Mar 2022 11:36 PM IST

सार

कोर्ट ने मामले में आदेश की प्रति को निचली अदालत को भी भेजने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और चंद्र कुमार राय की खंडपीठ ने एक साथ चार आरोपितों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर जिले के बंसारी गांव में 15 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में आरोपितों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में तीन आरोपित जमानत पर बाहर हैं, उनकी जमानत बांड को समाप्त किया जाता है और एक आरोपित जेल में उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया जाता है।

कोर्ट ने मामले में आदेश की प्रति को निचली अदालत को भी भेजने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और चंद्र कुमार राय की खंडपीठ ने एक साथ चार आरोपितों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

मामले में निचली अदालत ने चारों अभियुक्तों को आजीवन कारावास और सात हजार रुपये जुमाने की सजा सुनवाई थी। अभियुक्तों ने निचली अदालत केफैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

कोर्ट ने पाया अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए कथित चश्मदीद गवाहों के साक्ष्य विश्वास को प्रेरित नहीं करते हैं। उनकी चश्मदीद गवाही संदेहयुक्त है। मौखिक साक्ष्य भी चिकित्सा साक्ष्य के अनुरूप नहीं है। घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है।

आरोपितों पर एक तिलक कार्यक्रम के दौरान शिव सिंह की हत्या का आरोप लगाया गया था। मामले में उसकी पत्नी की ओर फतेहपुर जिले के थाना असोथर में चार मई 2006 को एफआईआर लिखाई गई थी।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर जिले के बंसारी गांव में 15 वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में आरोपितों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में तीन आरोपित जमानत पर बाहर हैं, उनकी जमानत बांड को समाप्त किया जाता है और एक आरोपित जेल में उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया जाता है।

कोर्ट ने मामले में आदेश की प्रति को निचली अदालत को भी भेजने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और चंद्र कुमार राय की खंडपीठ ने एक साथ चार आरोपितों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

मामले में निचली अदालत ने चारों अभियुक्तों को आजीवन कारावास और सात हजार रुपये जुमाने की सजा सुनवाई थी। अभियुक्तों ने निचली अदालत केफैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

कोर्ट ने पाया अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए कथित चश्मदीद गवाहों के साक्ष्य विश्वास को प्रेरित नहीं करते हैं। उनकी चश्मदीद गवाही संदेहयुक्त है। मौखिक साक्ष्य भी चिकित्सा साक्ष्य के अनुरूप नहीं है। घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है।

आरोपितों पर एक तिलक कार्यक्रम के दौरान शिव सिंह की हत्या का आरोप लगाया गया था। मामले में उसकी पत्नी की ओर फतेहपुर जिले के थाना असोथर में चार मई 2006 को एफआईआर लिखाई गई थी।

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