नौ साल में लगे दो करोड़ पौधे पर नहीं बढ़ा वन क्षेत्रफल

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उन्नाव। नौ सालों में वन विभाग ने अन्य विभागों के सहयोग से जिले में करीब दो करोड़ से अधिक पौधे रोपे। इसमें करोड़ों रुपये खर्च भी हुए लेकिन हैरानी की बात ये है कि जो वन क्षेत्रफल 2012 में था, वही 2021 में भी है। आंकड़े बता रहे हैं कि पौधरोपण का रिकार्ड तो बनता गया लेकिन देखरेख के प्रयास मुरझाते रहे हैं।
2012 से 2014 तक वन विभाग ने जिले में 17,06,239 पौधे रोपित किए जाने का दावा किया था। उस समय जिले का वन क्षेत्रफल 16,409 हेक्टेयर था। 2015 से वन विभाग के साथ अन्य विभागों ने संयुक्त रूप से पौधरोपण शुरू किया। 2021 तक वन और अन्य विभागों ने कुल मिलाकर 2.21 करोड़ से अधिक पौधे लगाए।
इसमें अकेले वन विभाग ने 1.41 करोड़ और अन्य विभागों ने 79.25 लाख पौधे रोपित करने का रिकार्ड बनाया। पौधरोपण का साल दर साल रिकार्ड तो बनता गया लेकिन वन क्षेत्रफल का दायरा नहीं बढ़ा। एक आरटीआई से मिले आंकड़ों के अनुसार 2021 में वन क्षेत्रफल 16,406 हेक्टेयर ही रहा। जबकि इस दौरान वन विभाग ने सात करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर दिए।
पौधे लगाए पर नहीं की देखभाल
देखरेख के अभाव में पौधे पेड़ नहीं बन सके। ट्रीगार्ड न लगाने से करोड़ों रुपये बर्बाद हुए और हरियाली पर पानी फिर गया। इसका उदाहरण नवाबगंज का महनौरा और दही क्षेत्र के तुर्कमान नगर की स्मृति वाटिका है। महनौरा में दो साल पहले तत्कालीन नोडल अधिकारी ने पौधे रोपित किए थे। आज वहां पर पौधे के नाम पर केवल डंठल ही बचे हैं। वहीं तुर्कमान नगर में स्थापित की गई स्मृति वाटिका में पिछले साल नोडल अधिकारी ने पौधरोपण किया था। यहां पर एक हजार पौधे लगाए गए थे। देखरेख के अभाव में सैकड़ों पौधे सूख चुके हैं।
3.6 प्रतिशत ही है वन क्षेत्र
राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 फीसदी भूभाग वन क्षेत्र आदर्श माना गया है। जिले का कुल क्षेत्रफल 4,55,800 हेक्टेयर है। जबकि जनपद का वन क्षेत्रफल 16,406 हेक्टेयर है। ये कुल क्षेत्रफल का मात्र 3.6 फीसदी ही है।
इस बार 65 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य
जिले में पौधरोपण का लक्ष्य 65,15,690 है। पांच जुलाई से 15 अगस्त तक चार चरणों में इसे पूर्ण किया जाएगा। हरियाली लाने के लिए अमृत वन, शक्ति वन, खाद्य वन, साहित्य वन, निराला वन, गंगा उपवन, युवा एवं बाल वन की स्थापना की जानी है।

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उन्नाव। नौ सालों में वन विभाग ने अन्य विभागों के सहयोग से जिले में करीब दो करोड़ से अधिक पौधे रोपे। इसमें करोड़ों रुपये खर्च भी हुए लेकिन हैरानी की बात ये है कि जो वन क्षेत्रफल 2012 में था, वही 2021 में भी है। आंकड़े बता रहे हैं कि पौधरोपण का रिकार्ड तो बनता गया लेकिन देखरेख के प्रयास मुरझाते रहे हैं।

2012 से 2014 तक वन विभाग ने जिले में 17,06,239 पौधे रोपित किए जाने का दावा किया था। उस समय जिले का वन क्षेत्रफल 16,409 हेक्टेयर था। 2015 से वन विभाग के साथ अन्य विभागों ने संयुक्त रूप से पौधरोपण शुरू किया। 2021 तक वन और अन्य विभागों ने कुल मिलाकर 2.21 करोड़ से अधिक पौधे लगाए।

इसमें अकेले वन विभाग ने 1.41 करोड़ और अन्य विभागों ने 79.25 लाख पौधे रोपित करने का रिकार्ड बनाया। पौधरोपण का साल दर साल रिकार्ड तो बनता गया लेकिन वन क्षेत्रफल का दायरा नहीं बढ़ा। एक आरटीआई से मिले आंकड़ों के अनुसार 2021 में वन क्षेत्रफल 16,406 हेक्टेयर ही रहा। जबकि इस दौरान वन विभाग ने सात करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर दिए।

पौधे लगाए पर नहीं की देखभाल

देखरेख के अभाव में पौधे पेड़ नहीं बन सके। ट्रीगार्ड न लगाने से करोड़ों रुपये बर्बाद हुए और हरियाली पर पानी फिर गया। इसका उदाहरण नवाबगंज का महनौरा और दही क्षेत्र के तुर्कमान नगर की स्मृति वाटिका है। महनौरा में दो साल पहले तत्कालीन नोडल अधिकारी ने पौधे रोपित किए थे। आज वहां पर पौधे के नाम पर केवल डंठल ही बचे हैं। वहीं तुर्कमान नगर में स्थापित की गई स्मृति वाटिका में पिछले साल नोडल अधिकारी ने पौधरोपण किया था। यहां पर एक हजार पौधे लगाए गए थे। देखरेख के अभाव में सैकड़ों पौधे सूख चुके हैं।

3.6 प्रतिशत ही है वन क्षेत्र

राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 फीसदी भूभाग वन क्षेत्र आदर्श माना गया है। जिले का कुल क्षेत्रफल 4,55,800 हेक्टेयर है। जबकि जनपद का वन क्षेत्रफल 16,406 हेक्टेयर है। ये कुल क्षेत्रफल का मात्र 3.6 फीसदी ही है।

इस बार 65 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य

जिले में पौधरोपण का लक्ष्य 65,15,690 है। पांच जुलाई से 15 अगस्त तक चार चरणों में इसे पूर्ण किया जाएगा। हरियाली लाने के लिए अमृत वन, शक्ति वन, खाद्य वन, साहित्य वन, निराला वन, गंगा उपवन, युवा एवं बाल वन की स्थापना की जानी है।

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