पितृ पक्ष : संगम पर पितृ विसर्जन के लिए देश-दुनिया से जुटेंगे वंशज, तर्पण-अर्पण से तृप्त होंगी आत्माएं

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पीढ़ी दर पीढ़ी पितरों को नमन करने और उनको तर्पण-अर्पण करने का पखवारा पितृ पक्ष 10 सितंबर से आरंभ होगा। अपनों की आत्मा की शांति और श्राद्ध के लिए देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों से वंशज संगमनगरी में जुटेंगे। पितरों के प्रति श्रद्धा-समर्पण के लिए शनिवार से आरंभ हो रहे पखवारे भर के पितृपक्ष की तैयारियां तीर्थपुरोहितों ने पूरी कर ली हैं।

संगमनगरी में 10 से 25 सितंबर तक पितरों के तर्पण-अर्पण के लिए पिंडदान और श्राद्ध किए जाएंगे। इसी के साथ पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए संगम तट पर पिंडदान के लिए लोग देश भर से पहुंचने लगे हैं, ताकि तर्पण-अर्पण तक पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित की जा सके। इस दौरान पिंडदान के साथ ही अन्न, वस्त्र और पूर्वजों की प्रिय वस्तुओं का भी दान होगा। पितृपक्ष आरंभ होने से पहले ही तीर्थपुरोहितों की चौकियों पर वंशजों की भीड़ लगने लगी है।

गंगा, यमुना, विलुप्त सरस्वती के संगम तट पर पितृपक्ष में श्राद्ध और पिंडदान से पूर्वजों को मोक्ष मिलने की पौराणिक मान्यता रही है। आम धारणा है कि संगम तट पर पिंडदान करने से पितरों को शांति मिल जाती है। ऐसे में शनिवार को आश्विन कृष्णपक्ष की पूर्णिमा तिथि पर सुबह से ही संगम तट पर पिंडदान, तर्पण का सिलसिला शुरू होगा।

इससे पहले शुक्रवार को चतुर्दशी तिथि पर अकाल मृत्यु की वजह से भटकती आत्माओं की शांति के लिए विधि-विधान से पूजन और पिंडदान की परंपरा है। ऐसे में संगम तट पर पिंडदान के लिए देश के कई हिस्सों से लोग पहुंचेंगे। वेदियों पर ध्वजा, पताका सजाकर मंत्रोच्चार के बीच पिंडदान और तर्पण कर अपने पूर्वजों को लोग श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।

तीर्थपुरोहित राजमणि तिवारी बताते हैं कि संगम पर पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है। यहां तर्पण और पिंडदान किए बिना दिवंगत की आत्मा अतृप्त रहती है। पितृपक्ष में पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पिंडदान नहीं करने से वंशजों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि देश भर से लोग लोग पिंडदान के लिए संगमनगरी पहुंच रहे हैं। इसी तरह तीर्थ पुरोहित श्रवण पांडेय और प्रदीप पांडेय के मुताबिक इस बार पड़ोसी देश नेपाल, इंडोनेशिया और मारीशस से भी पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए वंशजों के प्रयागराज पहुंचने की उम्मीद है।

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पितृदोष से मुक्ति के बिना नहीं मिलती समृद्धि
ज्योतिषाचार्य पं ब्रजेंद्र मिश्र के अनुसार पितृदोष से मुक्ति के बिना परिवार में सुख-समृद्धि नहीं आती। ऐसे में किसी की अकाल मृत्यु, माता-पिता व मातृ-पितृ पक्ष के किसी अन्य परिजन की मृत्यु के श्राद्ध और पिंडदान करने के ही दोष से मुक्ति मिलती है।

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पीढ़ी दर पीढ़ी पितरों को नमन करने और उनको तर्पण-अर्पण करने का पखवारा पितृ पक्ष 10 सितंबर से आरंभ होगा। अपनों की आत्मा की शांति और श्राद्ध के लिए देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों से वंशज संगमनगरी में जुटेंगे। पितरों के प्रति श्रद्धा-समर्पण के लिए शनिवार से आरंभ हो रहे पखवारे भर के पितृपक्ष की तैयारियां तीर्थपुरोहितों ने पूरी कर ली हैं।

संगमनगरी में 10 से 25 सितंबर तक पितरों के तर्पण-अर्पण के लिए पिंडदान और श्राद्ध किए जाएंगे। इसी के साथ पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए संगम तट पर पिंडदान के लिए लोग देश भर से पहुंचने लगे हैं, ताकि तर्पण-अर्पण तक पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित की जा सके। इस दौरान पिंडदान के साथ ही अन्न, वस्त्र और पूर्वजों की प्रिय वस्तुओं का भी दान होगा। पितृपक्ष आरंभ होने से पहले ही तीर्थपुरोहितों की चौकियों पर वंशजों की भीड़ लगने लगी है।

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