प्याज की खेती किसानों के जीवन में ला रही खुशहाली

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उन्नाव। प्याज की खेती किसानों के जीवन में खुशहाली भर रही है। नवीनतम प्रजाति सुखसागर तो महाराष्ट्र के नासिक के प्याज को भी टक्कर दे रही है। सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के तमाम किसान इसकी खेती से मुनाफा कमा रहे हैं।
सिकंदरपुप कर्ण के हरसिंहपुर गांव निवासी किसान विनोद पटेल ने प्याज की सुखसागर किस्म बोई। अच्छी पैदावार ने उनके जीवन के दुख दूर कर दिए हैं। एक बीघा खेत में 55 क्विंटल प्याज की पैदावार हुई। उनकी देखा-देखी क्षेत्र के तमाम किसानों ने प्याज की खेती को अपनाया है।
जिले में प्याज की खेती का आच्छादन क्षेत्रफल करीब तीन हजार हेक्टेअर हो गया है। सरकारी बीज हरियाणा, पंजाब से आते हैं, लेकिन विनोद ने बताया कि उन्नत प्रजाति सुखसागर की खेती 100 से 110 दिन में तैयार होने वाली यह प्रजाति मानसून को छोड़ हर सीजन में बोई जा सकती है।
बारिश अधिक होने पर फसल खराब होने की संभावना रहती है। ठंड का मौसम सबसे अनुकूल होता है, जितनी ज्यादा सर्दी उतनी ज्यादा पैदावार।
किसान विनोद ने बताया कि वह एक बीघा में प्याज की खेती करते हैं। बीज व अन्य लागत समेत प्रति बीघा 28 हजार रुपये तक का खर्च आता है। प्याज 20 रुपये किलोग्राम तक में बिक जाता है। इससे उन्हें 80 से 90 हजार रुपये मिल जाते हैं। बताया कि यह प्याज नासिक के प्याज से भी अच्छा है। जल्दी खराब नहीं होता और अधिक समय तक भंडारित किया जा सकता है।
जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा ने बताया कि जिले के किसान प्याज की खेती करते हैं, लेकिन अभी आच्छादन क्षेत्रफल कम है। सुखसागर प्रजाति का प्याज किसानों की आमदनी के लिहाज से अच्छा है।
उद्यान विशेषज्ञ डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि सुखसागर प्रजाति काफी अच्छी है। प्रयास किया जा रहा है कि यह बीज जिले में भी रियायती दाम पर किसानों को उपलब्ध हो सके।

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उन्नाव। प्याज की खेती किसानों के जीवन में खुशहाली भर रही है। नवीनतम प्रजाति सुखसागर तो महाराष्ट्र के नासिक के प्याज को भी टक्कर दे रही है। सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के तमाम किसान इसकी खेती से मुनाफा कमा रहे हैं।

सिकंदरपुप कर्ण के हरसिंहपुर गांव निवासी किसान विनोद पटेल ने प्याज की सुखसागर किस्म बोई। अच्छी पैदावार ने उनके जीवन के दुख दूर कर दिए हैं। एक बीघा खेत में 55 क्विंटल प्याज की पैदावार हुई। उनकी देखा-देखी क्षेत्र के तमाम किसानों ने प्याज की खेती को अपनाया है।

जिले में प्याज की खेती का आच्छादन क्षेत्रफल करीब तीन हजार हेक्टेअर हो गया है। सरकारी बीज हरियाणा, पंजाब से आते हैं, लेकिन विनोद ने बताया कि उन्नत प्रजाति सुखसागर की खेती 100 से 110 दिन में तैयार होने वाली यह प्रजाति मानसून को छोड़ हर सीजन में बोई जा सकती है।

बारिश अधिक होने पर फसल खराब होने की संभावना रहती है। ठंड का मौसम सबसे अनुकूल होता है, जितनी ज्यादा सर्दी उतनी ज्यादा पैदावार।

किसान विनोद ने बताया कि वह एक बीघा में प्याज की खेती करते हैं। बीज व अन्य लागत समेत प्रति बीघा 28 हजार रुपये तक का खर्च आता है। प्याज 20 रुपये किलोग्राम तक में बिक जाता है। इससे उन्हें 80 से 90 हजार रुपये मिल जाते हैं। बताया कि यह प्याज नासिक के प्याज से भी अच्छा है। जल्दी खराब नहीं होता और अधिक समय तक भंडारित किया जा सकता है।

जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा ने बताया कि जिले के किसान प्याज की खेती करते हैं, लेकिन अभी आच्छादन क्षेत्रफल कम है। सुखसागर प्रजाति का प्याज किसानों की आमदनी के लिहाज से अच्छा है।

उद्यान विशेषज्ञ डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि सुखसागर प्रजाति काफी अच्छी है। प्रयास किया जा रहा है कि यह बीज जिले में भी रियायती दाम पर किसानों को उपलब्ध हो सके।

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