Prayagraj News : पंडित जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री। फाइल फोटो – फोटो : अमर उजाला।
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प्रयागराज नगर निकाय से कई प्रख्यात नेता निकले हैं। नगर पालिका अध्यक्षों की सूची में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू एवं लाल बहादुर शास्त्री के नाम भी शामिल हैं। प्रयागराज के नगर पालिका से नगर निगम बनने तक के कालखंड को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला खंड 1916 से 1960 के बीच का है, जब इलाहाबाद नगर पालिका हुआ करता था।
इसके पहले अध्यक्ष शिव चरन लाल निर्वाचित हुए। इनके बाद जनवरी 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पुरुषोत्तम दास टंडन अध्यक्ष चुने गए। इनके बाद कामता प्रसाद कक्कड़ इस कुर्सी पर बैठे। वहीं जवाहर लाल नेहरू तीन अप्रैल 1923 से 28 फरवरी 1925 तक अध्यक्ष रहे। इनके बाद लाल बहादुर शास्त्री निर्वाचित हुए।
कैलाश नाथ काटजू, पूर्व राज्यपाल विश्वंभर नाथ पांडेय भी अध्यक्ष निर्वाचित हुए। विश्वंभर नाथ 10वें और आखिरी अध्यक्ष अध्यक्ष रहे, जो1948 से 1960 तक इस पद पर रहे। इसके बाद 1960 में नगर महापालिका का गठन हुआ और विश्वंभर नाथ एक फरवरी 1960 से 31 जनवरी 1961 तक नगर महापालिका के पहले नगर प्रमुख रहे। इसके बाद 1994 में यह नगर निगम बन गया। इससे पहले नगर महापालिका में कुल 13 प्रमुख चुने गए, जिनमें केंद्रीय मंत्री रहे सत्यप्रकाश मालवीय का नाम भी शामिल है। रवि भूषण बधावन आखिरी नगर प्रमुख रहे।
नगर निगम बनने के बाद 1995 में जनता ने महापौर का चुनाव किया, जिसमें सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी विजयी हुईं थीं। इनके बाद डॉ. केपी श्रीवास्तव, जितेंद्र नाथ सिंह निर्वाचित हुए। इनके बाद अभिलाषा गुप्ता नंदी दो बार से महापौर हैं।
नगर प्रमुख चुने गए सत्य प्रकाश हार गए थे सभासद का चुनाव
1972 में नगर प्रमुख चुने गए सत्यप्रकाश मालवीय 1965 में मालवीय नगर से सभासद का चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए। पूर्व पार्षद केके श्रीवास्तव बताते हैं कि इसके बाद सत्य प्रकाश वाराणसी में वकालत करने लगे। 1972 का चुनाव वह लड़ने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन, बुलाया गया। इसके बाद सोशलिस्ट पार्टी राजनारायण गुट के टिकट पर नगर प्रमुख का चुनाव लड़े और निर्वाचित हुए।
केके श्रीवास्तव के अनुसार 1971 में इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था और पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी। इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस के अमरेश कुमार बनर्जी के अलावा जनसंघ के प्रत्याशी डॉ. मुरली मनोहर जोशी को मात दी। केके श्रीवास्तव का कहना है कि उस समय वह पूरे देश में अकेले विपक्ष के नगर प्रमुख चुने गए थे।
जवाहर लाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू तीन अप्रैल 1923 से 28 फरवरी 1925 तक नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता रहे। इसके बाद देश के पहले प्रधानमंत्री बने और 1964 तक इस पद पर रहे। वह फूलपुर से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे।
लाल बहादुर शास्त्री जवाहर लाल नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। वह स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी नेता रहे। पं. नेहरू के कार्यकाल में गृहमंत्री रहे और उनके बाद प्रधानमंत्री बने। लाल बहादुर शास्त्री इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे।
विश्वंभर नाथ
विश्वंभर नाथ पांडेय करीब 12 साल तक नगर पालिका अध्यक्ष रहे। वह स्वतंत्रता सेनानी रहे। 1983 से 1988 के बीच उड़ीसा के राज्यपाल रहे।
पुरुषोत्तम दास टंडन पुरुषोत्तम दास टंडन तीन जनवरी 1921 से 10 मार्च 1922 के बीच नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता रहे। 1950 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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प्रयागराज नगर निकाय से कई प्रख्यात नेता निकले हैं। नगर पालिका अध्यक्षों की सूची में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू एवं लाल बहादुर शास्त्री के नाम भी शामिल हैं। प्रयागराज के नगर पालिका से नगर निगम बनने तक के कालखंड को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला खंड 1916 से 1960 के बीच का है, जब इलाहाबाद नगर पालिका हुआ करता था।
इसके पहले अध्यक्ष शिव चरन लाल निर्वाचित हुए। इनके बाद जनवरी 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पुरुषोत्तम दास टंडन अध्यक्ष चुने गए। इनके बाद कामता प्रसाद कक्कड़ इस कुर्सी पर बैठे। वहीं जवाहर लाल नेहरू तीन अप्रैल 1923 से 28 फरवरी 1925 तक अध्यक्ष रहे। इनके बाद लाल बहादुर शास्त्री निर्वाचित हुए।
कैलाश नाथ काटजू, पूर्व राज्यपाल विश्वंभर नाथ पांडेय भी अध्यक्ष निर्वाचित हुए। विश्वंभर नाथ 10वें और आखिरी अध्यक्ष अध्यक्ष रहे, जो1948 से 1960 तक इस पद पर रहे। इसके बाद 1960 में नगर महापालिका का गठन हुआ और विश्वंभर नाथ एक फरवरी 1960 से 31 जनवरी 1961 तक नगर महापालिका के पहले नगर प्रमुख रहे। इसके बाद 1994 में यह नगर निगम बन गया। इससे पहले नगर महापालिका में कुल 13 प्रमुख चुने गए, जिनमें केंद्रीय मंत्री रहे सत्यप्रकाश मालवीय का नाम भी शामिल है। रवि भूषण बधावन आखिरी नगर प्रमुख रहे।
नगर निगम बनने के बाद 1995 में जनता ने महापौर का चुनाव किया, जिसमें सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी विजयी हुईं थीं। इनके बाद डॉ. केपी श्रीवास्तव, जितेंद्र नाथ सिंह निर्वाचित हुए। इनके बाद अभिलाषा गुप्ता नंदी दो बार से महापौर हैं।