प्राचीन ताम्रनिधियों का रहस्य: सैफई और मैनपुरी में छिपी है चार हजार साल पुरानी सभ्यता, उत्खनन की मांग

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मैनपुरी के गणेशपुर में 77 ताम्रनिधियों के मिलने और जांच में 3800 साल पुराने होने के बाद हेरिटेज साइट के उत्खनन की मांग पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने की है। उनका कहना है कि सैफई और मैनपुरी के उत्खनन से पूरी सभ्यता के विकास जानकारी मिलेगी। गणेशपुर गंगा-यमुना के दोआब में ऐसी साइट हैं, जहां से पहली बार 39 इंच लंबी तलवार और चार धार वाला भाला मिला है। यहां से 30 किमी दूर सैफई में 52 साल पहले उत्खनन के दौरान ताम्रनिधियां तो मिलीं, लेकिन वहां से केवल 45 सेमी लंबा हार्पून ही मिला। ओसीपी के साथ यहां ग्रे नार्दन ब्लैक पॉलिशड वेयर यानी एनबीपी मिले। इन पर क्रिस-क्रॉस लाइनें थीं। यहां गैरिक मृदभांड में कटोरी और जार भी मिले थे। हड़प्पा और गंगाघाटी सभ्यता की समकालीन सभ्यता के जमीन में दफन रहस्यों को उजागर करने के लिए राज्य सरकार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से उत्खनन की सिफारिश कर सकती है। 

यह साइट बेहद महत्वपूर्ण

एएसआई के पूर्व निदेशक पद्मश्री केके मुहम्मद ने कहा कि गणेशपुर में जिस तरह के ताम्र अस्त्र-शस्त्र मिले हैं, उससे यह साइट बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यहां उत्खनन की आवश्यकता है। सिनौली और सकतपुर जैसी कई नई जानकारियां यहां से प्राप्त हो सकती हैं। 

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डीएम से मांगी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि गणेशपुर में डीएम से रिपोर्ट मांगी जा रही है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही हम एएसआई को उत्खनन का प्रस्ताव भेज सकेंगे। यह डीएम की रिपोर्ट पर निर्भर रहेगा।

अभी हम सर्वे कर रहे

आगरा के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने कहा कि ताम्रयुग को जानने के लिए इस साइट में अनंत संभावनाएं हैं। जिस जगह ताम्रनिधियां मिली हैं, उसके दक्षिणी पश्चिमी हिस्से की ओर टीला है, जहां उत्खनन करने पर कई चीजें सामने आ सकती हैं, पर अभी हम सर्वे कर रहे हैं। 

चार हजार साल पुराना है सैफई का इतिहास

मैनपुरी के गणेशपुर में जिस तरह से 3800 साल पुरानी ताम्रनिधियां मिली हैं, ठीक वैसे ही इटावा जिले के सैफई से 1970 में हुए उत्खनन में ताम्रनिधियां पाई गई थीं, जो कि चार हजार साल पुरानी थीं। यहां केवल हार्पून मिले, जबकि गणेशपुर में तलवारें और चार धार, चार हुक वाले भाले मिले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के गृह जिले से चर्चित इटावा के सैफई में सबसे पहले 1966 में खेत जोतते समय तांबे की कुल्हाड़ियां, बर्छियां, भालों के अग्रभाग, मानवकृत और वलय जैसी तांबे की कई चीजें मिलीं। 

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