फर्जीवाड़ा : फर्जी ईएफटी के जरिए रेलवे को चूना लगाने वाला टीटीई बर्खास्त 

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 30 Mar 2022 09:55 PM IST

सार

जौनपुर निवासी प्रदीप मौर्य रेलवे में प्रमोशन पाने के बाद टीटीई बना। इसी के बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू किया। उसने अपनी खुद की एक ईएफटी किताब छपवाई। ट्रेन में जांच के दौरान अगर कोई यात्री बिना टिकट या अनियमित टिकट के मिलता तो वह जुर्माने की रसीद काटता और फर्जी ईएफटी यात्री को दे देता।

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फर्जी एक्सेस फेयर टिकट (ईएफटी) बनाकर रेलवे को चूना लगाने वाले प्रयागराज मंडल के टीटीई को रेलवे प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है। आरोपी टीटीई के खिलाफ तकरीबन चार वर्ष तक जांच चली। आरोप सही पाए जाने पर उसके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई। 

बताया जा रहा है कि जौनपुर निवासी प्रदीप मौर्य रेलवे में प्रमोशन पाने के बाद टीटीई बना। इसी के बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू किया। उसने अपनी खुद की एक ईएफटी किताब छपवाई। ट्रेन में जांच के दौरान अगर कोई यात्री बिना टिकट या अनियमित टिकट के मिलता तो वह जुर्माने की रसीद काटता और फर्जी ईएफटी यात्री को दे देता। जुर्माने की राशि उसकी जेब में ही जाती।

2018 में ही जांच के दौरान पकड़ा गया था

फर्जी ईएफटी की शिकायत जब सामने आई तो 2018 में ही एक ट्रेन में जांच के दौरान उसे पकड़ा गया। तब उसके पास से फर्जी ईएफटी बरामद हुई। उसके खिलाफ जीआरपी में मुकदमा दर्ज हुआ। ंवह जेल भी गया। हालांकि बाद में उसकी रिहाई हो गई। इस बीच इस पूरे प्रकरण की जांच चलती रही। उस पर लगे आरोप सही पाए जाने पर रेल प्रशासन ने उसे बर्खास्त कर दिया। प्रयागराज मंडल के पीआरओ अमित सिंह ने प्रदीप मौर्य के बर्खास्तगी की पुष्टि की है। 

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फर्जी एक्सेस फेयर टिकट (ईएफटी) बनाकर रेलवे को चूना लगाने वाले प्रयागराज मंडल के टीटीई को रेलवे प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है। आरोपी टीटीई के खिलाफ तकरीबन चार वर्ष तक जांच चली। आरोप सही पाए जाने पर उसके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई। 

बताया जा रहा है कि जौनपुर निवासी प्रदीप मौर्य रेलवे में प्रमोशन पाने के बाद टीटीई बना। इसी के बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू किया। उसने अपनी खुद की एक ईएफटी किताब छपवाई। ट्रेन में जांच के दौरान अगर कोई यात्री बिना टिकट या अनियमित टिकट के मिलता तो वह जुर्माने की रसीद काटता और फर्जी ईएफटी यात्री को दे देता। जुर्माने की राशि उसकी जेब में ही जाती।

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