फर्जी दस्तावेज तैयार कर असली पासपोर्ट बनवाने का मामला: सत्यापन क्या खाक किया, नोट मिले और ‘माफ ’ किया

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सूरज शुक्ला, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Wed, 26 Jan 2022 01:57 PM IST

सार

फर्जी दस्तावेजों पर पासपोर्ट तैयार करना राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा में सेंधमारी करना है। मगर जिस तरह से वसीम अली ने पासपोर्ट बनवाए, उससे तो आशंका यह भी है कि कई अपराधी उससे पासपोर्ट बनवाकर विदेश चले गए होंगे।

सांकेतिक तस्वीर

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– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

कानपुर में फर्जी दस्तावेज तैयार कर असली पासपोर्ट बनवाने वाला वसीम अली इस खेल का अकेला खिलाड़ी नहीं है, बल्कि पासपोर्ट ऑफिस और पुलिस विभाग के कई लोग उसकी चौसर के प्यादे हैं। क्योंकि किसी भी शख्स का पासपोर्ट जारी होने से पहले दोनों विभाग सत्यापन करते हैं। इनकी रिपोर्ट के बाद ही पासपोर्ट बनता है। लेकिन इस मामले में सत्यापन के नाम पर केवल खानापूरी की गई।

नोटों की हरी पत्ती देखकर हरी झंडी देते रहे। तभी तो वसीम धड़ाधड़ पासपोर्ट बनवाता रहा और सत्यापन में हर गलती माफ होती रही। आशंका यह भी है कि कई अपराधियों ने भी वसीम से पासपोर्ट बनवाए होंगे। क्योंकि आमतौर पर सीधासादा आदमी फर्जी तरीके से पासपोर्ट क्यों बनवाएगा। 

फर्जी दस्तावेजों पर पासपोर्ट तैयार करना राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा में सेंधमारी करना है। मगर जिस तरह से वसीम अली ने पासपोर्ट बनवाए, उससे तो आशंका यह भी है कि कई अपराधी उससे पासपोर्ट बनवाकर विदेश चले गए होंगे। फिलहाल पुलिस के पास ऐसा कोई तथ्य नहीं है। आशंका यह भी है कि कहीं रोहिंग्या या अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों ने तो पासपोर्ट नहीं बनवा लिए। इन सभी बिंदुओं पर पुलिस की तफ्तीश जारी है।

एक भी दस्तावेज का नहीं किया सत्यापन

पासपोर्ट बनवाने के लिए हाईस्कूल की मार्कशीट अनिवार्य है। इसमें दर्ज आवेदक की व्यक्तिगत जानकारी, जन्मतिथि आदि विवरण ही सही माना जाता है। इसी आधार पर पासपोर्ट बनता है। पुलिस भी सत्यापन रिपोर्ट लगाती है। इसमें देखा जाता है कि आवेदक का आपराधिक इतिहास है या नहीं। एलआईयू भी अपने स्तर से आवेदक के बारे में तमाम जानकारियां सत्यापित करती है। मगर वसीम ने जिस तरह से फर्जीवाड़ा किया, उससे स्पष्ट हो गया कि किसी स्तर पर सत्यापन किया ही नहीं किया गया। 

हजार-पांच सौ रुपये में सत्यापन

पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया में खूब रिश्वतखोरी चलती है। तमाम शिकायतें भी पहुंचती हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। वहीं आमतौर पर खुद लोग पुलिस को हजार, पांच सौ रुपये देकर सत्यापन करवा लेते हैं, जबकि सत्यापन प्रक्रिया में किसी तरह की फीस आदि नहीं होती। आशंका है कि वसीम जिन लोगों के पासपोर्ट बनवाता था, वह भी इसी तरह से सत्यापन करवा लेते होंगे। हैरानी की बात यह है कि पासपोर्ट विभाग शैक्षणिक दस्तावेज का सत्यापन नहीं कराया। अगर कराया होता तो आरोपी पहले ही पकड़ा जाता। 

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