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आग बुझाते समय फायर कर्मचारी जितेंद्र पाल की हालत बिगड़ गई थी, जिसको साथी कर्मचारियों ने वहां से हटाने के साथ ही उसको पानी पिलाकर घटनास्थल से दूर खुले में लिटा दिया। बताया जाता है कि आग पर काबू पाने के दौरान जितेंद्र का धुआं के कारण दम घुटने लगा था।
रमन प्रकाश के मकान में लगी आग की लपटें करीब एक किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थी। आग की लपटों के बीच घिरे मकान को बचाने और आग पर काबू पाने के लिए फायर विभाग के साथ-साथ क्षेत्रीय लोग पूरी तरह से असहाय दिखाई दे रहे थे। आग ने पूरे मकान को अपनी चपेट में ले लिया था।
आसपास के मकानों के लोग भी अपने घरों से बाहर आ गए। आग की लपटों के कारण आसपास के मकानों में भी दरारें आ गईं। मकान में रखीं इन्वर्टर की बैटरियां फटने से इलाके में दहशत फैल गई थी। मकान में शाम साढ़े बजे लगी आग पर करीब सवा 10 बजे काबू पाया जा सका।
बैटरियों के फटने से उनके केमिकल ने आग में घी काम किया। लोगों के बीच चर्चा थी कि बैटरियों के केमिकल के कारण आग ने विकरात रूप लिया। यदि घर में बैटरियां नहीं होती तो शायद आग पर काबू पाने में इतना समय नहीं लगता और पांच लोगों की जान नहीं जातीं। अग्निकांड से हर कोई स्तब्ध है।
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