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हसनगंज (उन्नाव)। क्षेत्र में सोमवार को भी बाघ की दहशत रही। ग्रामीणों ने सुबह बाघ दिखने की बात कही और दहशत छा गई। वहीं वन विभाग की टीम को कहीं बाघ के पदचिह्न नहीं दिखे। अफसरों का कहना है कि जो निशान मिले हैं, वह कुत्ते के हैं।
तहसील क्षेत्र के तेगापुर गांव के बाहर शनिवार देर शाम आम के बाग के पास टहलते बाघ का वीडियो बनाकर किसान ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसके बाद वन विभाग की चार सदस्यीय टीम ने गांव पहुंचकर कांबिंग की। हालांकि 72 घंटे बाद भी वन विभाग की टीम को सुराग हाथ नहीं लगा। वन विभाग के दरोगा सुभाष चंद्र व श्रीकांत त्रिवेदी के अनुसार, कहीं भी बाघ के पंजे का निशान नहीं मिले हैं।
सोमवार सुबह गांव के ही कैलाश, रामदुलारी, कल्लू, रामचंद्र व राजकुमार खेत में गेहूं काटने गए थे। सभी ने फिर बाघ देखने का दावा किया। वन विभाग के अभी तक बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे व जाल की व्यवस्था न करने से ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि 72 घंटे बीतने के बाद भी डीएफओ गांव नहीं पहुंचे।
वन क्षेत्राधिकारी देवदत्त पाल ने बताया कि टीम गांव में लगातार कांबिंग कर रही है। क्षेत्र में आम के बाग के कारण पदचिह्न नहीं दिख रहे हैं। ग्रामीणों ने जो निशान बताए हैं, वो कुत्ते के हैं। फिर भी ग्रामीणों को सतर्क किया गया है।
हसनगंज (उन्नाव)। क्षेत्र में सोमवार को भी बाघ की दहशत रही। ग्रामीणों ने सुबह बाघ दिखने की बात कही और दहशत छा गई। वहीं वन विभाग की टीम को कहीं बाघ के पदचिह्न नहीं दिखे। अफसरों का कहना है कि जो निशान मिले हैं, वह कुत्ते के हैं।
तहसील क्षेत्र के तेगापुर गांव के बाहर शनिवार देर शाम आम के बाग के पास टहलते बाघ का वीडियो बनाकर किसान ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसके बाद वन विभाग की चार सदस्यीय टीम ने गांव पहुंचकर कांबिंग की। हालांकि 72 घंटे बाद भी वन विभाग की टीम को सुराग हाथ नहीं लगा। वन विभाग के दरोगा सुभाष चंद्र व श्रीकांत त्रिवेदी के अनुसार, कहीं भी बाघ के पंजे का निशान नहीं मिले हैं।
सोमवार सुबह गांव के ही कैलाश, रामदुलारी, कल्लू, रामचंद्र व राजकुमार खेत में गेहूं काटने गए थे। सभी ने फिर बाघ देखने का दावा किया। वन विभाग के अभी तक बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे व जाल की व्यवस्था न करने से ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि 72 घंटे बीतने के बाद भी डीएफओ गांव नहीं पहुंचे।
वन क्षेत्राधिकारी देवदत्त पाल ने बताया कि टीम गांव में लगातार कांबिंग कर रही है। क्षेत्र में आम के बाग के कारण पदचिह्न नहीं दिख रहे हैं। ग्रामीणों ने जो निशान बताए हैं, वो कुत्ते के हैं। फिर भी ग्रामीणों को सतर्क किया गया है।
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