फिल्म निर्देशक चंद्र प्रकाश ने बताया: ब्रिटेन की पीएम से इंदिरा ने कैसे कराया था अटल जी का परिचय, वाजपेयी को खल गई थी ये बात

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सार

फिल्म निर्देशक पद्म श्री डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत अमर उजाला लघु फिल्म प्रतियोगिता सम्मान समारोह में अटल बिहारी वाजपेयी के भाषा प्रेम की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अटल जी हिंदी भाषा से किस हद तक जुड़े थे और अपनी भाषा पर कितना गर्व करते थे।

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अवसर था ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत अमर उजाला लघु फिल्म प्रतियोगिता सम्मान समारोह का। मुख्य अतिथि फिल्म निर्देशक पद्म श्री डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका’ पर व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुझे किसी भी भाषा से कोई शिकायत नहीं है।

हम अंग्रेजी से किसी प्रकार की शत्रुता निभा रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मां हमें प्यारी होती है, लेकिन हिंदी की एक बहन भी होती है, जिसे मासी कहते हैं। मैं जो महसूस करता हूं कि जैसे ही आप मातृभाषा को खोते जाते हैं, उसके साथ पूरी एक धरोहर खो देते हैं। इसके बाद उन्होंने एक याद साझा की। जोकि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी है।

हिंदी में हम अपनी बात नहीं कहेंगे तो किस भाषा में कहेंगे
उन्होंने कहा अटल जी ने बताया कि एक बार उनकी मुलाकात ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर से हुई। इस दौरान इंदिरा गांधी ने अटल जी का थैचर से यह कहते हुए परिचय कराया कि ये अटल जी हैं, हिंदी में बहुत अच्छा भाषण देते हैं। अटल जी ने कहा कि एक बार ऐसा सोच कर देखें कि अगर मैं ब्रिटेन में हूं और कोई मेरा परिचय उनसे कराए और कहे कि यह मारग्रेट थैचर हैं और बहुत अच्छी अंग्रेजी बोलती हैं, तो कैसा लगेगा। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि अगर हिंदी में हम अपनी बात नहीं कहेंगे तो किस भाषा में कहेंगे।

लोगों ने भाषा को ध्वस्त कर दिया
डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने भाषा को बनने में हजारों वर्ष लगते हैं लेकिन लोगों ने भाषा को ध्वस्त कर दिया। क्या ये भाषा के प्रति अपराध नहीं है। कहा कि जितनी सार्वजनिक जगह हैं, वहां पहले अंग्रेजी फिर हिंदी बोली जाती। आखिर पहले हिंदी क्यों नहीं बोली जाती। देश में दिए जाने वाले सम्मान समारोहों में भी पहले अंग्रेजी भाषा बोली जाती है, उसके बाद अंग्रेजी। 

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फिल्में हिंदी भाषा में ही लिखूंगा
कहा कि मैंने प्रण लिया है कि फिल्में हिंदी भाषा में ही लिखूंगा। हिंदी हमारे देश में अभी भी बहुत बड़े पैमाने पर बोली जाती है। अभी इस बात पर जोर दिया जा रहा है बच्चे को उसकी मातृ भाषा में पढ़ाया जाए। लेकिन उच्च शिक्षा में हमें लगता है कि अंग्रेजी अनिवार्य है। पूरे देश में मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी में ही होती है। जो भारतीय दूसरे मुल्कों में पढ़ाई के जाते हैं उनको उस देश की भाषा सीखनी होती है। हमारे देश के विद्यार्थी एक वर्ष में उस देश की भाषा सीख लेते हैं। हमारे देश में मेडिकल और तकनीकी शिक्षा मातृ भाषा में क्यों नहीं हो सकती है। व्यस्तता के चलते उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक चले गए, अगर वह यहां मौजूद होते तो मैं उनसे इस मामले पर प्रकाश डालने के लिए जरूर कहता।

विस्तार

अवसर था ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के तहत अमर उजाला लघु फिल्म प्रतियोगिता सम्मान समारोह का। मुख्य अतिथि फिल्म निर्देशक पद्म श्री डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका’ पर व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुझे किसी भी भाषा से कोई शिकायत नहीं है।

हम अंग्रेजी से किसी प्रकार की शत्रुता निभा रहे हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मां हमें प्यारी होती है, लेकिन हिंदी की एक बहन भी होती है, जिसे मासी कहते हैं। मैं जो महसूस करता हूं कि जैसे ही आप मातृभाषा को खोते जाते हैं, उसके साथ पूरी एक धरोहर खो देते हैं। इसके बाद उन्होंने एक याद साझा की। जोकि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी है।

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