फैसला : अस्पताल से भागा बंदी, कोर्ट ने बंदीरक्षकों को सुनाई दो साल की सजा

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(सांकेतिक तस्वीर)

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– फोटो : सोशल मीडिया

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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्र नाथ ने अस्पताल से बंदी के भागने के आरोप में दोषी पाए गए नैनी जेल के दो बंदी रक्षकों मुकेश श्रीवास्तव और नितेश सिंह को दो-दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही एक-एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न देने की दशा में में दोनों बंदी रक्षकों को 15 दिन की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।

मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों बंदीरक्षकों ने अपने दायित्वों का अनुपालन करने में लोप किया। यह स्वयं गंभीर प्रकृति का अपराध है। अभियुक्तों का उत्तरदायित्व समाज के प्रति अन्य सामान्य अभियुक्तों की अपेक्षा अधिक है। अत: अभियुक्तों के प्रति सहानभूति प्रदान किया जाना समाज केप्रति लोक सेवकों के दायित्वों में लापरवाही को उत्प्रेरित किए जाने के समान है।

दोनों दंडित किए जाने योग्य हैं। बंदी रक्षकों पर बंदी बुद्धु सिंह के भागने में लापरवाही करने का आरोप है। बंदी बुद्धु सिंह एसआरएन चिकित्सालय में भर्ती था। उसके बाएं हाथ का ऑपरेशन हुआ था। 14 सितंबर 2013 को मौका पाकर बुद्धु सिंह अस्पताल से भाग गया। ममाले में जेलर संतोष कुमार ने जांच की तो दोनों बंदीरक्षक जिम्मेदार पाए गए। दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई करते हुए दोनों को दोषी करार दिया। अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी अतुल द्विवेदी और सहायक अभियोजन अधिकारी प्रदीप कुमार ने बहस की।  

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विस्तार

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्र नाथ ने अस्पताल से बंदी के भागने के आरोप में दोषी पाए गए नैनी जेल के दो बंदी रक्षकों मुकेश श्रीवास्तव और नितेश सिंह को दो-दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही एक-एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न देने की दशा में में दोनों बंदी रक्षकों को 15 दिन की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।

मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों बंदीरक्षकों ने अपने दायित्वों का अनुपालन करने में लोप किया। यह स्वयं गंभीर प्रकृति का अपराध है। अभियुक्तों का उत्तरदायित्व समाज के प्रति अन्य सामान्य अभियुक्तों की अपेक्षा अधिक है। अत: अभियुक्तों के प्रति सहानभूति प्रदान किया जाना समाज केप्रति लोक सेवकों के दायित्वों में लापरवाही को उत्प्रेरित किए जाने के समान है।

दोनों दंडित किए जाने योग्य हैं। बंदी रक्षकों पर बंदी बुद्धु सिंह के भागने में लापरवाही करने का आरोप है। बंदी बुद्धु सिंह एसआरएन चिकित्सालय में भर्ती था। उसके बाएं हाथ का ऑपरेशन हुआ था। 14 सितंबर 2013 को मौका पाकर बुद्धु सिंह अस्पताल से भाग गया। ममाले में जेलर संतोष कुमार ने जांच की तो दोनों बंदीरक्षक जिम्मेदार पाए गए। दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई करते हुए दोनों को दोषी करार दिया। अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी अतुल द्विवेदी और सहायक अभियोजन अधिकारी प्रदीप कुमार ने बहस की।  



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