फैसला: यूपी में ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम, उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश

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सार

यूपी में अब ग्रेजुएशन में ग्रेडिंग सिस्टम लागू होगा। उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका.एस.गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है।

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प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था और विद्यार्थियों का एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अबेकस-यूपी के जरिये स्थानांतरण की व्यवस्था को लागू करने के लिए दस पाइंट ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका.एस.गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है।

ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा के क्रेडिट स्कोर्स निर्धारित है। इन सभी का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33 प्रतिशत ही रहेगा। सह-पाठ्यकरम कोर्स तथा तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक आवश्यक होंगे। 

चार कौशल विकास कोर्स में भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत ही निर्धारित किए है। कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रम में पूर्णांक 100 निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रशिक्षण और प्रयोगात्मक परीक्षा का मूल्यांकन 60 अंकों और लिखित परीक्षा का मूल्यांकन 40 अंकों में से होगा। इसमें भी न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 ही रखे गए है।

सभी विषयों के मुख्य, माइनर और सह पाठ्यक्रम में अधिकतम 100 अंक मेंसे प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आतंरिक मूल्यांकन और 75 अंकों की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़कर की जाएगी। विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 25 अंक (33 प्रतिशत) अंक प्राप्त करने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षा में कुल 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।
 
किसी भी पाठ्यक्रम या पेपर में आंतरिक मूल्यांकन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा। यदि किसी विद्यार्थी ने आंतरिक मूल्यांकन में शून्य अंक प्राप्त किए हैं और विश्वविद्यालय की परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं तो वह उत्तीर्ण माना जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहने पर भी शून्य अंक ही मिलेंगे।

इस तरह मिलेगी कक्षान्नति
– विद्यार्थी को वर्तमान विषय सेमेस्टर से अगले सम सेमेस्टर में सदैव प्रोन्नत किया जाएगा चाहे विषम सेमेस्टर का परिणाम कुछ भी हो।
– वर्तमान सम सेमेस्टर से अगले विषय सेमेस्टर में (वर्तमान वर्ष से अगले वर्ष में) प्रोन्नति तब ही मिलेगी जब विद्यार्थी ने वर्तमान वर्ष के सम और विषम सेमेस्टर मिलाकर कुल क्रेडिट्स का न्यूनतम 50 प्रतिशत क्रेडिट के पेपर्स उत्तीर्ण कर लिए हो। वर्तमान वर्ष के मेजर विषयों कुल क्रेडिट्स का न्यूनतम 50 प्रतिशत क्रेडिट पेपर उत्तीर्ण कर लिए हो।
– द्वितीय से तृतीय वर्ष में प्रोन्नति के लिए प्रथम वर्ष में आवश्यक 46 क्रेडिट्स के सभी पेपर्स और क्वालिफाइंग (सह-पाट्यक्रम) पेपर को उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा

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काल अवधि
– किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी। यदि विद्यार्थी सततता में तीनों वर्ष की पढ़ाई करता है तो उसे अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे। यदि विद्यार्थी किसी एक वर्ष का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा लेकर चला जाता है तो वह बाकी वर्षों की पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए कभी भी वापस आ सकता है। उसे आगे के वर्ष की पढ़ाई पूरा करने के लिए तीन वर्ष मिलेंगे।

इस तरह होगा श्रेणी निर्धारण ((सीजीपीए- संचयी ग्रेड अंक औसत)
प्रथम श्रेणी – 6.50 या उससे अधिक अंक या दस से कम सीजीपीए
द्वितीय श्रेणी – 5.00 या उससे अधिक अंक या 6.50 से कम सीजीपीए
तृतीय श्रेणी – 4.00 या इससे अधिक अंक, 5 से कम सीजीपीए
 

विस्तार

प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था और विद्यार्थियों का एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अबेकस-यूपी के जरिये स्थानांतरण की व्यवस्था को लागू करने के लिए दस पाइंट ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका.एस.गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है।

ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा के क्रेडिट स्कोर्स निर्धारित है। इन सभी का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33 प्रतिशत ही रहेगा। सह-पाठ्यकरम कोर्स तथा तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक आवश्यक होंगे। 

चार कौशल विकास कोर्स में भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत ही निर्धारित किए है। कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रम में पूर्णांक 100 निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रशिक्षण और प्रयोगात्मक परीक्षा का मूल्यांकन 60 अंकों और लिखित परीक्षा का मूल्यांकन 40 अंकों में से होगा। इसमें भी न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 ही रखे गए है।

सभी विषयों के मुख्य, माइनर और सह पाठ्यक्रम में अधिकतम 100 अंक मेंसे प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आतंरिक मूल्यांकन और 75 अंकों की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़कर की जाएगी। विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 25 अंक (33 प्रतिशत) अंक प्राप्त करने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षा में कुल 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।

 

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