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इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस वर्ष पूर्व हुई हत्या के मामले में जेल में बंद दो आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास है। गवाह दो और तीन घटना केप्रत्यक्षदर्शी नहीं रहे। सत्र न्यायालय ने गवाह दो और तीन के बयानों को सही से नहीं परखा। लिहाजा, तथ्यों और परिस्थितियों की कड़ियां आपस में जुड़ती नहीं है।
कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए जेल से रिहा करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी ने रजनीश और विजय पाल की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में वादी मुकदमा अनेक पाल ने विजय पाल और रजनीश सहित अन्य आरोपियों पर भाई गौरी शंकर की हत्या करने के आरोप में संभल जिले के राजपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले में बदायूं जिले की सत्र अदालत ने दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। विजय पाल पर शस्त्र अधिनियम के तहत भी सजा सुनाई गई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल नौ गवाह पेश किए गए थे।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि दोनों आरोपियों पर आरोप साबित नहीं होता है। कोर्ट ने कहा कि गवाह दो और तीन की गवाही पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, वह प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे। उनकी गवाही में विरोधाभास है, जिससे कि अपराध साबित नहीं होता है।
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