बंगाल टाइगर की दहाड़ से दहला एटा: हमले में दो ग्रामीण हुए जख्मी, 10 घंटे दहशत में रहे हजारों ग्रामीण

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एटा के गांव नगला समल में रविवार को बंगाल टाइगर (बाघ) घुस आया। बाघ के हमले से दो लोग जख्मी भी हो गए। जिससे लोग खौफ में आ गए। सुबह साढ़े पांच बजे से 3.15 बजे तक करीब 10 घंटे गांव के लोग दहशत में रहे। सुबह साढ़े पांच बजे गांव का आशीष और इसके बाद लोचन बाघ के हमले में घायल हुए। लोगों को घिरा देख ग्रामीणों ने हिम्मत जुटाई और बाघ को दौड़ाने की कोशिश की। भीड़ को देखकर उसने अपने कदम भी पीछे खींचे। जिसके बाद एक मकान की टीन शेड पर चढ़कर बैठ गया। इसके बाद दोपहर तक यहां से नहीं हिला। 

सूचना पर पहले पुलिस, फिर स्थानीय वन विभाग और बाद में अन्य जिलों से वन विभाग तथा विशेषज्ञों की टीमें वहां पहुंचीं। बाघ को देख टीम भी सहज इस पर नियंत्रण करने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं। उसको सुरक्षित पकड़ने के लिए क्षेत्र में सभी खुले स्थानों पर जाल लगाए गए। बाद में ट्रैंकुलाइजर (बेहोश करने की दवा) बंदूक के जरिये दी गई। जिसके बाद बेहोश होने पर उसे खाली घर से निकाला गया। बाघ के पकड़े जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

 

पहली बार दो मार्च को देखा गया था बाघ

नगला समल में पहली बार दो मार्च को खेतों में सुबह बाघ देखा गया था। गांव निवासी पूरन सिंह, अमोद, रामपाल, अजय ने बताया कि दो मार्च को सुबह के समय गांव के लोगों ने खेतों में बने बाघ के पंजों के निशान देखे। लगभग नौ बजे बाघ दिखाई दिया। इस पर पुलिस सहित वन विभाग की टीम को जानकारी दी। टीम मौके पर आई, लेकिन उसे बाघ नहीं दिखाई दिया। इस पर टीम वापस चली गई। अगर वन विभाग उसी समय थोड़ा गंभीरता से ध्यान देती तो बाघ पहले ही पकड़ जाता। गांव वालों ने बताया कि दो मार्च से ही ग्रामीण दहशत में थे। आसपास जंगली सुअर सहित खरगोश रहते हैं। ऐसे में बाघ ने उन्हें शिकार बनाया होगा। दूर के खेतों में इसके पंजे के निशान लगातार देखने को मिल रहे थे।

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नगला समल में रेस्क्यू किया गया बाघ बंगाल टाइगर है, जो साढ़े छह फीट लंबा और 160 किलो वजन का है। इस मादा बाघ की उम्र चार से पांच साल के बीच आंकी गई है। अलीगढ़ की वन संरक्षक अधिकारी अदिति शर्मा ने बताया कि इस प्रजाति के बाघ पीलीभीत, जिम कार्बेट आदि तराई बैल्ट में पाए जाते हैं। वहां से यह किस तरह यहां तक पहुंचा होगा, यह अंदाजा लगाना मुश्किल है। 

वन संरक्षक अधिकारी ने बताया कि बंगाल टाइगर की रफ्तार बहुत तेज होती है। एक दिन में 500 किमी तक की दूरी दौड़कर तय कर सकते हैं। हालांकि औसतन रूप से ये 100 से 150 किमी की दूरी एक दिन में तय करते हैं। उन्होंने बताया कि यह बहुत दुर्लभ प्रजाति है। जिसके रेस्क्यू करने में इसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान दिया गया। बेहद ही सुरक्षित ढंग से इसे रेस्क्यू कर निकाला गया है। पकड़े जाने के तुरंत बाद इसे होश में लाया गया और भोजन दिया गया। 

बाघ की दहशत के कारण गांव के कई घरों में चूल्हे भी नहीं जलाए गए। अपने-अपने घरों के दरवाजे बंदकर छतों पर जाकर बैठ गए। लोगों में खौफ का माहौल रहा। डर है कि खाना बनाने पर इसकी खुशबू से बाघ हमला न कर दे। सुनीता, शालिनी, रामबेटी, सलोनी ने बताया कि गांव में बाघ हैं। ऐसे में घरों में खाना कैसे बनाया जाए। बच्चों को बिस्कुट आदि देकर उन्हें बहला दिया है।

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