बड़ा संकट : चार करोड़ के घाटे में MCTCL, टायर घिसे तो डिपो में खड़ी कर दीं वोल्वो बसें

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टायर घिसे तो वोल्वो बसें डिपो में खड़ी कर दी।

टायर घिसे तो वोल्वो बसें डिपो में खड़ी कर दी।
– फोटो : amar ujala

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मेरठ में एक तरफ शहर की सड़कों पर 20 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा बेलगाम दौड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एमसीटीसीएल) करीब चार करोड़ के घाटे में है। हालत यह है कि टायर घिसने के बाद तीन वोल्वो बसें सोहराब गेट डिपो में खड़ी कर दी गई हैं।

एमसीटीसीएल ने वर्ष 2010 में सिटी बसों का संचालन शुरू किया था। शहर में कंपनी की 30 इलेक्ट्रिक बसें, 80 सीएनजी और आठ वोल्वो बसें हैं। शहर में 29 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन चार जनवरी 2022 को शुरू हुआ था। पहले पांच बसें मिलीं और फिर फरवरी व मार्च में पांच-पांच बसें मिलीं। अप्रैल में कुल मिलाकर 30 इलेक्ट्रिक बसें हो गईं। जल्द ही 20 बसें और मिलनी हैं। सात माह के अंदर इन बसों के संचालन में 7.35 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि आय 3.67 करोड़ हुई।

हर किलोमीटर पर 35 रुपये का घाटा
इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर प्रति किलोमीटर औसतन 70 रुपये खर्च होते हैं, जबकि आय सिर्फ 35 रुपये होती है। तीस इलेक्ट्रिक बसें प्रतिदिन करीब 5000 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। इससे प्रतिदिन 1.75 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि खर्च 3.50 लाख हो जाते हैं।
 
सीएनजी बसों के संचालन में भी नुकसान
एमसीटीसीएल को 80 सीएनजी बसों के संचालन में ही अक्तूबर में 26.08 लाख का घाटा हुआ है। सीएनजी बसें अक्तूबर में कुल छह लाख किलोमीटर चलीं। विभाग को प्रति किलोमीटर 17 रुपये चालक और मेंटेनेंस पर खर्च करने पड़े।

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ई-रिक्शा वाले कैसे कमा रहे मुनाफा
आरटीओ में शहर की सड़कों पर दौड़ रहे सात हजार ई-रिक्शा दर्ज हैं। असल में इनकी संख्या 20 हजार के आसपास बताई जाती है। सवाल ये है कि एमसीटीसीएल घाटे में है और ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 
 
इलेक्ट्रिक बसों का किराया
0 से 3 किलोमीटर-   10 रुपये 
3 से 6 किलोमीटर-   15 रुपये 
6 से 10 किलोमीटर-  20 रुपये 
10 से 14 किलोमीटर- 25 रुपये 
14 से 19 किलोमीटर- 30 रुपये
19 से 24 किलोमीटर- 35 रुपये 
24 से 30 किलोमीटर- 40 रुपये 
30 से 36 किलोमीटर- 45 रुपये 
36 से 42 किलोमीटर- 50 रुपये 

किस रूट पर कितनी इलेक्ट्रिक बसें 
मवाना –                           15
सरधना-                            9
सिटी स्टेशन-                      3 
किला –                           1 
कैली –                           1 

इन रूटों पर चल रहीं सीएनजी बसें 
शहर में सिवाया-मोदीनगर, हापुड़ अड्डा-किठौर, भैसाली-सरधना, राधागोविंद इंजीनियरिंग कालेज-सिवाया, भैसाली-करनावल, भैसाली-हर्रा खिवाई व सिवालखास, खानपुर, सतवाई रूट पर करीब 80 बसों का संचालन हो रहा है। 

घाटे के बावजूद जनहित में संचालन 
मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट के तहत बसों के संचालन में काफी घाटा हो रहा है। इन बसों का संचालन लोगों की सुविधाओं को देखते हुए किया जाता है। कई रूटों पर घाटा है, लेकिन यात्रियों की कमी के बावजूद भी संचालन किया जाता है। – मुकेश अग्रवाल, एआरएम वित्त, परिवहन निगम मेरठ

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सतवाई, सरधना और रतनपुरी से भी चलेंगी रोडवेज बसें
जल्द ही अब सतवाई, सरधना और रतनपुरी से भी रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो सकेगा। इसके लिए परिवहन निगम ने अनुबंध की प्रक्रिया शुरू कर दी है। क्षेत्रीय प्रबंधक केके शर्मा ने बताया कि परिवहन निगम की ओर से अब 150 किलोमीटर की दूरी तक के लिए भी बसों का अनुबंध किया जाएगा। पहले मात्र 60 किलोमीटर तक ही बसों का अनुबंध किया जाता था। विभाग 24 सीएनजी बसों का अनुबंध करने जा रहा है, जिनका संचालन पांच रूटों से होगा। इनमें सतवाई से भोला, मेरठ होते हुए बस गाजियाबाद जाएगी। दूसरे रूट में सरधना से दौराला, मेरठ होते हुए कौशांबी और गाजियाबाद के लिए बसों का संचालन होगा। रतनपुरी से सरधना मेरठ होते हुए खुर्जा तक बसों का संचालन किया जाएगा। इन बसों को संचालन से देहात के लोगों को काफी लाभ पहुंचेगा। बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सभी बसें सीएनजी ही ली जाएंगी। इसके लिए परिवहन निगम की ओर से टेंडर निकाल दिया गया है।

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मेरठ में एक तरफ शहर की सड़कों पर 20 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा बेलगाम दौड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एमसीटीसीएल) करीब चार करोड़ के घाटे में है। हालत यह है कि टायर घिसने के बाद तीन वोल्वो बसें सोहराब गेट डिपो में खड़ी कर दी गई हैं।

एमसीटीसीएल ने वर्ष 2010 में सिटी बसों का संचालन शुरू किया था। शहर में कंपनी की 30 इलेक्ट्रिक बसें, 80 सीएनजी और आठ वोल्वो बसें हैं। शहर में 29 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन चार जनवरी 2022 को शुरू हुआ था। पहले पांच बसें मिलीं और फिर फरवरी व मार्च में पांच-पांच बसें मिलीं। अप्रैल में कुल मिलाकर 30 इलेक्ट्रिक बसें हो गईं। जल्द ही 20 बसें और मिलनी हैं। सात माह के अंदर इन बसों के संचालन में 7.35 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि आय 3.67 करोड़ हुई।

हर किलोमीटर पर 35 रुपये का घाटा

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर प्रति किलोमीटर औसतन 70 रुपये खर्च होते हैं, जबकि आय सिर्फ 35 रुपये होती है। तीस इलेक्ट्रिक बसें प्रतिदिन करीब 5000 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। इससे प्रतिदिन 1.75 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि खर्च 3.50 लाख हो जाते हैं।

 

सीएनजी बसों के संचालन में भी नुकसान

एमसीटीसीएल को 80 सीएनजी बसों के संचालन में ही अक्तूबर में 26.08 लाख का घाटा हुआ है। सीएनजी बसें अक्तूबर में कुल छह लाख किलोमीटर चलीं। विभाग को प्रति किलोमीटर 17 रुपये चालक और मेंटेनेंस पर खर्च करने पड़े।

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