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महाभारतकालीन हस्तिनापुर में महाभारत की प्राचीन प्रथा फिर से शुरू होने जा रही है। पितामह भीष्म के द्वारा होने वाला गंगा पूजन अब फिर से हस्तिनापुर में शुरू होगा। मां गंगा पर कर्ण मंदिर के महंत शंकरदेव और नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चेयरमैन एवं शोभित विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती के माध्यम से गंगा आरती शुरू की जाएगी। इस संबंध में एसडीएम मवाना ने भी दिशा निर्देश जारी कर दिया है।
नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चैयरमेन प्रियंक ने एसडीएम अखिलेश यादव को एक पत्र के माध्यम से गंगा आरती के लिए मांग की थी प्रियंक का कहना था कि जहां-जहां गंगा मां का प्रवाह है, वहां गंगा आरती होती है लेकिन हस्तिनापुर में गंगा आरती नहीं होती, हस्तिनापुर में इसकी आवश्यकता है ।
मां गंगा ही एक ऐसी नदी है जिसे जीवित नदी का दर्जा दिया जाता है। यह जीवनदायिनी गंगा मैया का हिंदू धर्म मे बडा ही महत्व है। गंगा मैया सभी जनमानस के अध्यात्मिकता व भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार यह गंगा नदी पहले हस्तिनापुर के पांडव टीले के समीप से होकर बहती थीं, जिसे अब बूढी गंगा के नाम से जाना जाता है।
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अपने पुत्र भीष्म की एक आवाज पर प्रकट होने वाली गंगा मां का प्राचीन काल से ही विशेष महत्व है। नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चैयरमेन एवम शोभित विवि के हस्तिनापुर शोध संस्थान के समन्यवक असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने बताया कि हस्तिनापुर नगरी से भी गंगा का विशेष नाता है। महाभारत के अनुसार राजा शंतनु से विवाह करने के बाद गंगा हस्तिनापुर आई थी, इस आशय से हस्तिनापुर को गंगा की ससुराल का दर्जा भी प्राप्त है।
भीष्म जब तक जीवित रहे तब तक गंगा में बाढ़ को कोई भी जिक्र नही मिलता, क्योकि महाभारतकाल मे भीष्म सूर्योदय से पूर्व माँ गंगा की उपासना किया करते थे। अंगराज कर्ण हस्तिनापुर में लगभग 6 वर्ष की उम्र में आ गए थे , कर्ण भी मां गंगा की उपासना किया करते थे एवं स्नान के बाद ब्राह्मणो को सवामन सोना दान किया करते थे ।
भीष्म एवं कर्ण की मृत्यु के उपरांत, युधिष्ठिर से चौथी पीढ़ी में राजा निचक्षु के शासनकाल से हस्तिनापुर में गंगा के कारण तबाही के साक्ष्य मिलने लगे। हस्तिनापुर में गंगा की आरती का प्रावधान करना चाहिए।
हरिद्वार से काशी तक सब जगह गंगा आरती का आयोजन होता है। उपजिलाधिकारी अखिलेश यादव के निर्देश के बाद अब हस्तिनापुर में भी गंगा आरती का आयोजन संभव हो पाएगा।
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महाभारतकालीन हस्तिनापुर में महाभारत की प्राचीन प्रथा फिर से शुरू होने जा रही है। पितामह भीष्म के द्वारा होने वाला गंगा पूजन अब फिर से हस्तिनापुर में शुरू होगा। मां गंगा पर कर्ण मंदिर के महंत शंकरदेव और नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चेयरमैन एवं शोभित विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती के माध्यम से गंगा आरती शुरू की जाएगी। इस संबंध में एसडीएम मवाना ने भी दिशा निर्देश जारी कर दिया है।
नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के चैयरमेन प्रियंक ने एसडीएम अखिलेश यादव को एक पत्र के माध्यम से गंगा आरती के लिए मांग की थी प्रियंक का कहना था कि जहां-जहां गंगा मां का प्रवाह है, वहां गंगा आरती होती है लेकिन हस्तिनापुर में गंगा आरती नहीं होती, हस्तिनापुर में इसकी आवश्यकता है ।
मां गंगा ही एक ऐसी नदी है जिसे जीवित नदी का दर्जा दिया जाता है। यह जीवनदायिनी गंगा मैया का हिंदू धर्म मे बडा ही महत्व है। गंगा मैया सभी जनमानस के अध्यात्मिकता व भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार यह गंगा नदी पहले हस्तिनापुर के पांडव टीले के समीप से होकर बहती थीं, जिसे अब बूढी गंगा के नाम से जाना जाता है।
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