बड़ी सफलता: स्टेम सेल थेरेपी ने ब्लड शुगर पर कसा शिकंजा, देश के पहले मामले में मिले उत्साहवर्द्धक नतीजे

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डायबिटीज के रोगियों के लिए ये उम्मीद बंधाने वाली खबर है। देश में पहली बार डायबिटीज के रोगी को दी गई स्टेम सेल थेरेपी के बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। थेरेपी के एक महीने बाद की गई जांच में पाया गया कि रोगी का अनियंत्रित रहने वाला ब्लड शुगर नियंत्रण में आ गया। उसकी दवा भी आधी हो गई है।

ये नतीजे करोड़ों डायबिटीज रोगियों के लिए राहत भरे हैं। फिलहाल रोगी को छह महीने की मॉनीटरिंग पर रखा गया है। हर महीने उसकी जांच की जाएगी। कल्याणपुर के रहने वाले राकेश पाठक देश के पहले डायबिटीज रोगी हैं, जिनकी स्टेम सेल थेरेपी की गई है। उन्हें 16 अगस्त को हैलट के सर्जरी विभाग में थेरेपी दी गई थी। 20 सितंबर को उन्हें जांच के लिए बुलाया गया और उनके अंदर चौंकाने वाला बदलाव देखने को मिले।

ब्लड शुगर लेवल तो नियंत्रण में आने के साथ साथ शरीर की अन्य प्रक्रिया पर थेरेपी का असर देखा गया। मेटाबोलिज्म में भी सुधार के संकेत मिले। इंसुलिन रिसेस्टेंस कम हो गया। रोगी में इंसुलिन का लेवल घटा मिला है। जाहिर है की रोगी के शरीर में इंसुलिन की खपत बढ़ गई है। रोगी की जांच स्टेम सेल थेरेपी के विशेषज्ञ और रिजनरेटिव मेडिसिन विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. बीएस राजपूत और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने की। उन्होंने बताया कि अभी छह महीने तक रोगी की फॉलोअप जांचें कराई जाएंगी। इसके बाद स्टेम सेल की दूसरी खुराक देने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

185 रहती थी खाली पेट शुगर, अब 87
राकेश पाठक का ब्लड शुगर लेवल लगातार बढ़ा हुआ रहता था। दवाएं भी कारगर नहीं हो पा रही थीं। स्टेम सेल थेरेपी दिए जाने के पहले वह सुबह 10 किलोमीटर टहलते थे और तब उनकी खाली पेट सुबह की ब्लड शुगर 185 थी। खाने के दो घंटे बाद की ब्लड शुगर 375 थी और एचबीए1सी 9.8 थी। अब वह केवल एक किलोमीटर टहलते हैं। मंगलवार की जांच में खाली पेट शुगर 87, खाने के दो घंटे के बाद 109 और एचबीए1सी आठ निकली। एचबीए1सी तीन महीने का औसत शुगर लेवल होता है। दवा आधी हो जाने और टहलना इतना कम होने के बाद भी इतने अच्छे परिणाम मिले हैं। डॉ. काला ने बताया कि मंगलवार को एक बर्जर रोगी और मस्तिष्क रोग के एक और रोगी को थेरेपी दी गई है।

एक महीने में ही असर
डायबिटीज रोगी को थेरेपी देने का यह पहला केस था। परिणाम उत्साह बढ़ाने वाला है। रोगी की दवाएं आधी हो गईं। छह महीने बाद बंद कर देंगे। महीने भर में ही थेरेपी ने असर दिखा दिया। रोगी ने बताया कि वह अब एक्टिव महसूस कर रहा है। इस सफलता से मायूस डायबिटीज रोगियों को राहत मिलेगी।- डॉ. बीएस राजपूत

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अभी महंगी है स्टेम सेल थेरेपी
स्टेम सेल थेरेपी अभी महंगी है। इसमें किट, स्टेम सेल प्रोसेसिंग आदि सब मिलाकर ढाई लाख खर्च आता है। निजी अस्पतालों में जहां वार्ड और डॉक्टर का चार्ज लगता है। इसका खर्च पांच लाख पड़ जाता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि इस संबंध में शासन से बात करेंगे जिससे आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों को भी लाभ मिल सके।

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डायबिटीज के रोगियों के लिए ये उम्मीद बंधाने वाली खबर है। देश में पहली बार डायबिटीज के रोगी को दी गई स्टेम सेल थेरेपी के बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। थेरेपी के एक महीने बाद की गई जांच में पाया गया कि रोगी का अनियंत्रित रहने वाला ब्लड शुगर नियंत्रण में आ गया। उसकी दवा भी आधी हो गई है।

ये नतीजे करोड़ों डायबिटीज रोगियों के लिए राहत भरे हैं। फिलहाल रोगी को छह महीने की मॉनीटरिंग पर रखा गया है। हर महीने उसकी जांच की जाएगी। कल्याणपुर के रहने वाले राकेश पाठक देश के पहले डायबिटीज रोगी हैं, जिनकी स्टेम सेल थेरेपी की गई है। उन्हें 16 अगस्त को हैलट के सर्जरी विभाग में थेरेपी दी गई थी। 20 सितंबर को उन्हें जांच के लिए बुलाया गया और उनके अंदर चौंकाने वाला बदलाव देखने को मिले।

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