बढ़े हुए मतदान से किसको मिलेगा अभयदान

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ज्योत्यवेंद्र दुबे
मैनपुरी। मैनपुरी के मतदाताओं ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान का नया कीर्तिमान रच दिया। मतदाताओं ने ऐसा उत्साह दिखाया कि 2017 के चुनाव से लंबी लकीर खींच दी। बीते चुनाव की अपेक्षा इस बार 4 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है। बढ़े हुए मतदान से किसको अभयदान मिलेगा ये तो बाद में ही पता चलेगा, लेकिन बढ़े हुए मतदान ने प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं।
इसे मतदाताओं में आई जागरुकता कहें या मैनपुरी के सियासी अखाड़े की जोर आजमाइश, लेकिन मतदाताओं ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान का नया कीर्तिमान रच दिया। औसतन 57 से 59 प्रतिशत के बीच सिमटने वाले मतदान प्रतिशत को मतदाताओं ने 63 प्रतिशत पहुंचा दिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो जिले की चार विधानसभा सीटों पर औसत 59.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। ऐसे में इस बार हुआ मतदान बीते चुनाव की तुलना में 4 अधिक है। मतदाताओं की संख्या में अगर देखें तो बीते चुनाव की अपेक्षा करीब 54 हजार अधिक मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व में मतदान कर अपनी आहुति दी। मतदान बढ़ने से प्रशासन ने जहां राहत की सांस ली है तो वहीं सियासत के सूरमाओं की धड़कनें बढ़ गई हैं। बढ़ा हुआ मतदान किसके लिए अभयदान बनेगा, ये सवाल उन्हें परेशान कर रहा है।
मैनपुरी सदर सीट पर सबसे अधिक पड़ेगा प्रभाव
मतदान का प्रतिशत बढ़ने से मैनपुरी सदर सीट के आंकड़ों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2017 के चुनाव की अपेक्षा इस बार सदर सीट पर लगभग तीन प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में लगभग दस हजार वोट बीते चुनाव से अधिक पड़ा है। 2017 में हुई जीत की अगर बात करें तो सपा को इस सीट पर 8831 वोट से जीत मिली थी। इससे साफ है कि इस बढ़े हुए मतदान फीसद की अहमियत मैनपुरी सदर सीट के लिए कितनी अहम है।
मंथन में जुटी सपा और भाजपा
रविवार को शाम छह बजे मतदान समाप्त हो गया। कुछ मतदेय स्थलों पर जहां शाम छह बजे तक मतदाता मौजूद थे वहां साढ़े छह बजे तक मतदान चला। इसके बाद ये साफ हो गया कि बीते चुनाव की तुलना में इस बार वोट अधिक पड़ा है। ऐसे में सपा और भाजपा दोनों ही इस मंथन में जुट गई हैं कि आखिर बढ़ा हुआ वोट भाजपा किस पार्टी का कोर वोटर है।

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ज्योत्यवेंद्र दुबे

मैनपुरी। मैनपुरी के मतदाताओं ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान का नया कीर्तिमान रच दिया। मतदाताओं ने ऐसा उत्साह दिखाया कि 2017 के चुनाव से लंबी लकीर खींच दी। बीते चुनाव की अपेक्षा इस बार 4 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है। बढ़े हुए मतदान से किसको अभयदान मिलेगा ये तो बाद में ही पता चलेगा, लेकिन बढ़े हुए मतदान ने प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं।

इसे मतदाताओं में आई जागरुकता कहें या मैनपुरी के सियासी अखाड़े की जोर आजमाइश, लेकिन मतदाताओं ने इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान का नया कीर्तिमान रच दिया। औसतन 57 से 59 प्रतिशत के बीच सिमटने वाले मतदान प्रतिशत को मतदाताओं ने 63 प्रतिशत पहुंचा दिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो जिले की चार विधानसभा सीटों पर औसत 59.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। ऐसे में इस बार हुआ मतदान बीते चुनाव की तुलना में 4 अधिक है। मतदाताओं की संख्या में अगर देखें तो बीते चुनाव की अपेक्षा करीब 54 हजार अधिक मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व में मतदान कर अपनी आहुति दी। मतदान बढ़ने से प्रशासन ने जहां राहत की सांस ली है तो वहीं सियासत के सूरमाओं की धड़कनें बढ़ गई हैं। बढ़ा हुआ मतदान किसके लिए अभयदान बनेगा, ये सवाल उन्हें परेशान कर रहा है।

मैनपुरी सदर सीट पर सबसे अधिक पड़ेगा प्रभाव

मतदान का प्रतिशत बढ़ने से मैनपुरी सदर सीट के आंकड़ों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2017 के चुनाव की अपेक्षा इस बार सदर सीट पर लगभग तीन प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में लगभग दस हजार वोट बीते चुनाव से अधिक पड़ा है। 2017 में हुई जीत की अगर बात करें तो सपा को इस सीट पर 8831 वोट से जीत मिली थी। इससे साफ है कि इस बढ़े हुए मतदान फीसद की अहमियत मैनपुरी सदर सीट के लिए कितनी अहम है।

मंथन में जुटी सपा और भाजपा

रविवार को शाम छह बजे मतदान समाप्त हो गया। कुछ मतदेय स्थलों पर जहां शाम छह बजे तक मतदाता मौजूद थे वहां साढ़े छह बजे तक मतदान चला। इसके बाद ये साफ हो गया कि बीते चुनाव की तुलना में इस बार वोट अधिक पड़ा है। ऐसे में सपा और भाजपा दोनों ही इस मंथन में जुट गई हैं कि आखिर बढ़ा हुआ वोट भाजपा किस पार्टी का कोर वोटर है।

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