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उन्नाव। जिला जेल में बंद बागपत, मेरठ समेत अन्य जिलों के कुख्यात अपराधियों को कोई बाहरी सुविधा तो नहीं मिल रही है। इसकी जांच के लिए शुक्रवार को डीएम और एसपी अचानक जेल पहुंच गए। दोनों अधिकारियों को देख जेल प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।
जेल पहुंचे डीएम रवींद्र कुमार और एसपी दिनेश त्रिपाठी, प्रभारी जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह के साथ उन बैरकों में पहुंचे जहां बागपत व मेरठ के कुख्यात अपराधी बंद हैं। अधिकारियों ने बैरक का कोना कोना खंगाला। हालांकि उन्हें कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। साफ-सफाई को लेकर दोनों अफसर संतुष्ट नजर नहीं आए।
उन्होंने प्रभारी जेल अधीक्षक को साफ-सफाई और बेहतर करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही भोजनालय, अस्पताल का भी निरीक्षण कर बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने जेल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी निर्देश भी दिए। लगभग एक घंटे बाद दोनो अधिकारी वहां से चले गए। प्रभारी जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि कारागार में बंद कैदियों पर नजर रखी जा रही है। तलाशी के बाद ही बंदियों से उनके परिजनों को मिलने दिया जाता है।
उन्नाव। जिला जेल में बंद बागपत, मेरठ समेत अन्य जिलों के कुख्यात अपराधियों को कोई बाहरी सुविधा तो नहीं मिल रही है। इसकी जांच के लिए शुक्रवार को डीएम और एसपी अचानक जेल पहुंच गए। दोनों अधिकारियों को देख जेल प्रशासन के हाथ पैर फूल गए।
जेल पहुंचे डीएम रवींद्र कुमार और एसपी दिनेश त्रिपाठी, प्रभारी जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह के साथ उन बैरकों में पहुंचे जहां बागपत व मेरठ के कुख्यात अपराधी बंद हैं। अधिकारियों ने बैरक का कोना कोना खंगाला। हालांकि उन्हें कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। साफ-सफाई को लेकर दोनों अफसर संतुष्ट नजर नहीं आए।
उन्होंने प्रभारी जेल अधीक्षक को साफ-सफाई और बेहतर करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही भोजनालय, अस्पताल का भी निरीक्षण कर बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने जेल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी निर्देश भी दिए। लगभग एक घंटे बाद दोनो अधिकारी वहां से चले गए। प्रभारी जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि कारागार में बंद कैदियों पर नजर रखी जा रही है। तलाशी के बाद ही बंदियों से उनके परिजनों को मिलने दिया जाता है।
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