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गंजमुरादाबाद। बिहार, पंजाब और हरियाणा के साथ नेपाल तक जाने वाला माधुरी तरबूज इस बार किसानों के लिए कड़वा सौदा साबित हो रहा है। महंगाई और मालभाड़ा बढ़ने के कारण बाहर से व्यापारी तरबूज खरीदने नहीं आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि लागत निकालना भी मुश्किल है।
बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान माधुरी, आइस बॉक्स आदि प्रजातियों के तरबूज की खेती करते हैं। बाराबंकी, बिहार, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य स्थानों के व्यापारी बड़े पैमाने पर यहां से तरबूज खरीदकर ले जाते थे। लेकिन इस बार महंगाई और भाड़ा अधिक होने से व्यापारी कम आ रहे हैं। बिक्री न होने से तरबूज के दाम काफी नीचे आ गए हैं।
ये है लागत की गणित
बांगरमऊ मंडी में पिछले माह तक 12 हजार रुपये प्रति ट्राली तरबूज बिक रहा था। ये अब चार से पांच हजार रुपये में आ गया है। किसानों ने बताया कि एक बीघा तरबूज की खेती में करीब 15 हजार रुपये लागत आती है। एक बीघा भूमि में तीन ट्राली ही तरबूज निकल रहा है। ऐसे में लागत निकलती नहीं दिख रही है। किसान अवधेश कटियार, लालू कटियार, विनोद कुमार, रामसनेही, द्वारिका प्रसाद, किशन पाल आदि ने बताया कि इस बार तरबूज की खेती फायदे का सौदा नहीं रही।
गंजमुरादाबाद। बिहार, पंजाब और हरियाणा के साथ नेपाल तक जाने वाला माधुरी तरबूज इस बार किसानों के लिए कड़वा सौदा साबित हो रहा है। महंगाई और मालभाड़ा बढ़ने के कारण बाहर से व्यापारी तरबूज खरीदने नहीं आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि लागत निकालना भी मुश्किल है।
बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान माधुरी, आइस बॉक्स आदि प्रजातियों के तरबूज की खेती करते हैं। बाराबंकी, बिहार, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य स्थानों के व्यापारी बड़े पैमाने पर यहां से तरबूज खरीदकर ले जाते थे। लेकिन इस बार महंगाई और भाड़ा अधिक होने से व्यापारी कम आ रहे हैं। बिक्री न होने से तरबूज के दाम काफी नीचे आ गए हैं।
ये है लागत की गणित
बांगरमऊ मंडी में पिछले माह तक 12 हजार रुपये प्रति ट्राली तरबूज बिक रहा था। ये अब चार से पांच हजार रुपये में आ गया है। किसानों ने बताया कि एक बीघा तरबूज की खेती में करीब 15 हजार रुपये लागत आती है। एक बीघा भूमि में तीन ट्राली ही तरबूज निकल रहा है। ऐसे में लागत निकलती नहीं दिख रही है। किसान अवधेश कटियार, लालू कटियार, विनोद कुमार, रामसनेही, द्वारिका प्रसाद, किशन पाल आदि ने बताया कि इस बार तरबूज की खेती फायदे का सौदा नहीं रही।
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