गंगा में पिछले दिनों आई बाढ़ का असर अभी तक है। वाराणसी में जलस्तर घट तो रहा है लेकिन उससे निकलने वाली सिल्ट और गाद से सभी घाट पटे हुए हैं। हाल ये है कि अब काशी के खूबसूरत घाट जो कभी पर्यटकों से गुलजार रहते थे, आज वहां हर तरफ बस गंदगी और सिल्ट का अंबार लगा हुआ है। लोकआस्था के महापर्व पर बाढ़ का पानी, सिल्ट और गंदगी व्रतियों के सामने चुनौती पेश करेगा। 30 वर्षों के इतिहास में दूसरी बार छठ पर गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। घाट के तीर्थ पुरोहित भी गंगा के इस रुख को देखकर परेशान हैं।
उनका कहना है कि बाढ़ के कारण घाटों का आपसी संपर्क टूटा हुआ है। गंगा घाट पर सीढ़ियों के ऊपर ही व्रती इस बार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे, वहीं कुंड, पोखरे और सरोवरों पर भी अर्घ्य दिया जाएगा। शुक्रवार को दशाश्वमेध घाट और राजेंद्र प्रसाद घाट पर समितियों की ओर से सिल्ट की सफाई पंप लगाकर की जा रही थी। घाट पर गाद और गंदगी इतनी ज्यादा मात्रा में जमा है कि अर्घ्य से पहले घाटों की सफाई हो पाना थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है।
अस्सी से लेकर राजघाट के बीच के कई घाटों की स्थितियां भी ठीक नहीं है। अस्सी घाट से तुलसीघाट जाने वाला रास्ता बाढ़ का पानी भरने से सिल्ट मलबा जमने के कारण अभी भी बंद है। आधा दर्जन से अधिक पंप मशीन की मदद से अस्सीघाट रविदास घाट पर जमे सिल्ट की सफाई करने में सफाईकर्मी लगे हैं।
नगर निगम के कर्मचारी पंप मशीन की मदद से सिल्ट की सफाई करने में लगे हैं। सुरक्षा के लिए बांस की बैरिकेडिंग करवाई जा रही है। अंधेरे में प्रकाश की व्यवस्था करने के लिए बिजली कर्मी खराब लाइटों को बदलने में लगे रहे। नगर निगम के तरफ से घाट किनारे चेजिंग रूम बनवाया गया। तीर्थ पुरोहित राकेश पांडेय, कन्हैया मिश्र, संदीप तिवारी ने बताया कि 1992 में बाढ़ के दौरान छठ व्रतियों को ऐसी ही परेशानी हुई थी।
सिल्ट की अधिकता ने नगर निगम की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। घाटों पर दिन रात सफाई हो रही है, लेकिन फिर भी छठ पूजा तक घाटों की पूरी सफाई होनी की उम्मीद नहीं दिख रही है। नगर निगम की कार्यदायी संस्था विशाल प्रोटेक्शन फोर्स के 265 कर्मी दिन रात घाटों की सफाई में जुटे हैं। इसके अलावा घाटों की सफाई के लिए 75 पंप लगाए गए हैं।
ऐसे में इस बार शहर के कुंड, पोखरे और सरोवरों पर पूजा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। आदित्यनगर तालाब और भिखारीपुर पोखरे पर भी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।