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सार
मामला वर्ष 2016 का है। थाना एत्मादपुर में बिना अनुमति सभा करने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में एसपी सिंह बघेल और अन्य के खिलाफ धारा 188 का मुकदमा दर्ज किया गया था। गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई।
आगरा के थाना एत्मादपुर में बिना अनुमति सभा करने के मामले में केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल को स्पेशल मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन की कोर्ट से गुरुवार को राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने केंद्रीय राज्यमंत्री के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 28 मई की तिथि नियत की है। उनकी ओर से मुकदमे से उन्मोचित करने संबंधी प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया।
यह है मामला
मामला वर्ष 2016 का है। एत्मादपुर में बिना अनुमति सभा करने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में एसपी सिंह बघेल और अन्य के खिलाफ धारा 188 का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले के अनुसार, थाना एत्मादपुर में मुसलिम खां और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में गिरफ्तारी की मांग को लेकर एसपी सिंह बघेल ने पांच अप्रैल 2016 को ऐलान किया कि आठ अप्रैल 2016 को पंचायत की जाएगी। अगर, आरोपी नहीं पकड़े जाते हैं तो 11 अप्रैल 2016 को धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने धरना प्रदर्शन किया, जबकि क्षेत्र में धारा 144 लागू थी। इसके लिए अनुमति नहीं ली। बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। आरोप है कि बिना अनुमति धरना-प्रदर्शन कर भड़काऊ भाषण दिया गया। मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष एत्मादपुर ने एसपी सिंह बघेल सहित अन्य के खिलाफ धारा 144 का उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में लगाई।
बघेल की ओर से दिया गया यह हवाला
केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री की ओर से अधिवक्ता केके शर्मा ने प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर हवाला दिया कि जब धरना और प्रदर्शन किया गया था, तब धारा 144 लागू नहीं थी। उपजिलाधिकारी एत्मादपुर का धारा 144 लागू करने का आदेश 30 अप्रैल 2016 का है। इसलिए केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अपराध नहीं बनता है। उन्हें केस से उन्मोचित किया जाए।
अभियोजन की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने धारा 144 का सरेआम उल्लंघन किया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद उनकी ओर से उन्मोचित करने संबंधी प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए आरोप तय करने के लिए 28 मई की तिथि नियत कर दी।
कोर्ट ने आदेश में यह कहा
कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी की है कि वास्तव में आरोपी ने कोई अपराध किया अथवा नहीं, यह विचारण की वस्तु है। मगर, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि उक्त अपराध में आरोपी की संलिप्तता प्रथम दृष्टया दृढ़ रूप से प्रकट होती है। अत: आरोपी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थनापत्र में दिए गए आधारों का निराकरण, विचारण (ट्रायल) से पूर्व किया जाना संभव नहीं है। विचारण के बाद ही दोनों पक्षों की दलीलों का निराकरण संभव है। अत: उन्मोचित प्रार्थनापत्र खारिज किया जाता है।
विस्तार
आगरा के थाना एत्मादपुर में बिना अनुमति सभा करने के मामले में केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल को स्पेशल मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) अर्जुन की कोर्ट से गुरुवार को राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने केंद्रीय राज्यमंत्री के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 28 मई की तिथि नियत की है। उनकी ओर से मुकदमे से उन्मोचित करने संबंधी प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया।
यह है मामला
मामला वर्ष 2016 का है। एत्मादपुर में बिना अनुमति सभा करने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में एसपी सिंह बघेल और अन्य के खिलाफ धारा 188 का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले के अनुसार, थाना एत्मादपुर में मुसलिम खां और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में गिरफ्तारी की मांग को लेकर एसपी सिंह बघेल ने पांच अप्रैल 2016 को ऐलान किया कि आठ अप्रैल 2016 को पंचायत की जाएगी। अगर, आरोपी नहीं पकड़े जाते हैं तो 11 अप्रैल 2016 को धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने धरना प्रदर्शन किया, जबकि क्षेत्र में धारा 144 लागू थी। इसके लिए अनुमति नहीं ली। बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। आरोप है कि बिना अनुमति धरना-प्रदर्शन कर भड़काऊ भाषण दिया गया। मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष एत्मादपुर ने एसपी सिंह बघेल सहित अन्य के खिलाफ धारा 144 का उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में लगाई।
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