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बीमारी का समय ऐसा है जब अपनों का साथ बेहद ही जरूरी होता है, लेकिन आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती कई मरीजों को अपनों ने ही भुला दिया। मर्ज से रिश्तों की डोर की कमजोर पड़ गई। डिस्चार्ज होने पर भी परिजन उन्हें लेने नहीं आए। तीन मरीजों को घर पहुंचाने के लिए पुलिस की मदद तक लेनी पड़ी। 17 मरीजों को हाफ वे होम में भेजना पड़ा है।
मरीज को पहचानने से मना किया
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में भर्ती बिहार की 29 साल की महिला ठीक हो गई। घर वालों से काफी संपर्क करने पर भी परिजन लेने नहीं आए। अपने मरीज को पहचानने से भी मना कर दिया। पुलिस की सहायता ली और घर भेजा।
न ले जाने के लिए बनाए बहाने
संस्थान में भर्ती कानपुर के 37 साल के युवक की हालत में उपचार के बाद काफी सुधार हुआ। डिस्चार्ज के वक्त परिजन नहीं आए। कई बार फोन किए, लेकिन बहाने बनाते रहे। पुलिस-प्रशासन की मदद से घर पहुंचाया।
मरीजों को लेने नहीं आए परिजन
संस्थान के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि बीते साल में 21 मरीज ऐसे मरीज रहे। स्वस्थ होने के बाद इन्हें परिजन लेने के लिए नहीं आए। लंबे समय यहां भर्ती रहने पर शुरुआत में परिजन जरूर हालचाल जानने आए, लेकिन इसके बाद पूरी तरह से भुला दिया। डिस्चार्ज किए जाने से पहले इनके परिजन को फोन किया। उन्होंने तमाम बहाने बनाए। कई ने फोन नंबर तक बदल दिए। ऐसे में इन 21 लोगों को रुनकता स्थित हाफ वे होम/लोंग स्टे होम में भेजा गया। बाद में इनमें से तीन मरीजों को पुलिस-प्रशासन की मदद से घर पहुंचाया गया। अन्य मरीजों के परिजन से भी संपर्क किया जा रहा है।
जब नहीं लेने आते तो पुलिस का लेना पड़ता है सहयोग
निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि अब मरीजों को भर्ती करते वक्त परिजन ने आधार कार्ड, शपथ पत्र भी लेते हैं। जब परिजन अपने मरीज को नहीं लेने आते हैं तो पुलिस-प्रशासन का सहयोग लेकर उनके यहां पुलिस भेजते हैं। कोई आर्थिक स्थिति का हवाला देता है तो संस्थान उसके घर मरीज को पहुंचाता है।
परिजनों से संपर्क के लिए करते हैं प्रयास
हाफ वे होम के कोआर्डिनेटर पंकज कुमार ने बताया कि अभी 17 मरीजों की यहां देखभाल की जा रही है। इनमें 15 महिलाएं और दो पुरुष हैं। इनको दवाएं देने के साथ मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के चिकित्सक भी फॉलोअप के लिए आते हैं। इनके परिजन से संपर्क करने का लगातार प्रयास रहता है। तीन को पुलिस की मदद से घर भेजा गया है।
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बीमारी का समय ऐसा है जब अपनों का साथ बेहद ही जरूरी होता है, लेकिन आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती कई मरीजों को अपनों ने ही भुला दिया। मर्ज से रिश्तों की डोर की कमजोर पड़ गई। डिस्चार्ज होने पर भी परिजन उन्हें लेने नहीं आए। तीन मरीजों को घर पहुंचाने के लिए पुलिस की मदद तक लेनी पड़ी। 17 मरीजों को हाफ वे होम में भेजना पड़ा है।
मरीज को पहचानने से मना किया
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में भर्ती बिहार की 29 साल की महिला ठीक हो गई। घर वालों से काफी संपर्क करने पर भी परिजन लेने नहीं आए। अपने मरीज को पहचानने से भी मना कर दिया। पुलिस की सहायता ली और घर भेजा।
न ले जाने के लिए बनाए बहाने
संस्थान में भर्ती कानपुर के 37 साल के युवक की हालत में उपचार के बाद काफी सुधार हुआ। डिस्चार्ज के वक्त परिजन नहीं आए। कई बार फोन किए, लेकिन बहाने बनाते रहे। पुलिस-प्रशासन की मदद से घर पहुंचाया।
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