बेटे का टूटा अभिमान, पिता का लौटा सम्मान: रामलाल वृद्धाश्रम में लिखित में माफी मांगने के बाद बुजुर्ग को साथ ले गया

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संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Published by: Abhishek Saxena
Updated Sun, 30 Jan 2022 11:05 AM IST

सार

ताजनगरी के बल्केश्वर के रहने वाले 75 साल के बुजुर्ग सुरेश कुमार 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर जीवन के नए संविधान की तलाश में रामलाल वृद्ध आश्रम पहुंचे थे।

बुजुर्ग सुरेश कुमार
– फोटो : अमर उजाला

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बुजुर्ग पिता को जब बड़े बेटे ने अपने सीने से लिपटा लिया, तो पिता के घाव प्यार के मरहम से भर गए। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घर से बेघर कर दिए गए बुजुर्ग पिता को उनका बेटा रामलाल वृद्ध आश्रम लेने पहुंचा। आश्रम में लिखित में माफी मांगने के बाद बुजुर्ग पिता को बेटा अपने साथ ले गया। 
अमर उजाला में 26 जनवरी के अंक में प्रकाशित खबर ‘सुरेश के जीवन में आज से नया संविधान’ प्रकाशित होने के बाद टूंडला में रह रहे कोमल कुमार अपने 75 साल के पिता सुरेश कुमार को घर वापस ले गए। रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे सुरेश कुमार को पता चला कि उनके घर से उनका बड़ा बेटा कोमल उन्हें लेने आया है, तो वह बिना चप्पल के ही बेटे की ओर दौड़े पड़े। उस समय वहां मौजूद दूसरे बुजुर्गों की आंखें भी नम हो गईं। अपने एक साथी की घर वापसी देख आश्रम में रहने वाले मोहनलाल बोल उठे, काश! मेरा बेटा भी मुझे लेने आ जाए। 
आगे से नहीं होगी परेशानी
कोमल ने लिखित में अपनी गलती मानी। उन्होंने लिखा है कि उनके छोटे भाई के कारण उनके पिता को आश्रम का रास्ता देखना पड़ा। उन्हें वह अपने साथ रखेंगे। साथ ही भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।  
आश्वासन के बाद भेजा घर
रामलाल वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि खबर प्रकाशित होने के बाद सुरेश कुमार के घर से फोन आया था। कोमल उन्हें आश्रम लेने पहुंचा। लिखित में आश्वासन लेने के बाद सुरेश को बेटे के साथ घर भेज दिया है। 
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विस्तार

बुजुर्ग पिता को जब बड़े बेटे ने अपने सीने से लिपटा लिया, तो पिता के घाव प्यार के मरहम से भर गए। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घर से बेघर कर दिए गए बुजुर्ग पिता को उनका बेटा रामलाल वृद्ध आश्रम लेने पहुंचा। आश्रम में लिखित में माफी मांगने के बाद बुजुर्ग पिता को बेटा अपने साथ ले गया। 

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अमर उजाला में 26 जनवरी के अंक में प्रकाशित खबर ‘सुरेश के जीवन में आज से नया संविधान’ प्रकाशित होने के बाद टूंडला में रह रहे कोमल कुमार अपने 75 साल के पिता सुरेश कुमार को घर वापस ले गए। रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे सुरेश कुमार को पता चला कि उनके घर से उनका बड़ा बेटा कोमल उन्हें लेने आया है, तो वह बिना चप्पल के ही बेटे की ओर दौड़े पड़े। उस समय वहां मौजूद दूसरे बुजुर्गों की आंखें भी नम हो गईं। अपने एक साथी की घर वापसी देख आश्रम में रहने वाले मोहनलाल बोल उठे, काश! मेरा बेटा भी मुझे लेने आ जाए। 

आगे से नहीं होगी परेशानी

कोमल ने लिखित में अपनी गलती मानी। उन्होंने लिखा है कि उनके छोटे भाई के कारण उनके पिता को आश्रम का रास्ता देखना पड़ा। उन्हें वह अपने साथ रखेंगे। साथ ही भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।  

आश्वासन के बाद भेजा घर

रामलाल वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि खबर प्रकाशित होने के बाद सुरेश कुमार के घर से फोन आया था। कोमल उन्हें आश्रम लेने पहुंचा। लिखित में आश्वासन लेने के बाद सुरेश को बेटे के साथ घर भेज दिया है। 

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