ब्रज में होली का उल्लास: रमणरेती आश्रम में 11 कुंतल फूलों से खेली गई होली, लड्डूओं के साथ बरसा गुलाल

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मथुरा समेत पूरे ब्रज में होली का उल्लास छाया हुआ है। यहां मंदिरों में प्रतिदिन होली के आयोजन हो रहे हैं। इसी क्रम में महावन स्थित रमणरेती आश्रम में रविवार को भव्य होली का आयोजन हुआ। जिसमें श्रीकृष्ण एवं राधारानी की युगल जोड़ी ने लड्डू और फूलों की होली खेली। वृंदावन से आए कलाकारों ने रास किया। पूरा पंडाल अबीर-गुलाल से रंगमय हो गया। इस दौरान मत जइयो सखी री अकेली पनघट पे.. आदि रसिया गाए गए। होली के उल्लास में डूब श्रद्धालु जमकर नाचे। 

 

आश्रम में कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज, पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्यामसुंदर दास, कार्ष्णि स्वरूपानंद महाराज, स्वामी हरदेवा नंद आदि संतों ने ठाकुर रमणबिहारी की आरती कर कार्यक्रम की शुरुआत की। होली महोत्सव में शामिल होने महावन, गोकुल और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। कार्ष्णि गोपाल जयंती महोत्सव के चौथे दिन होली महोत्सव मनाया गया। इसमें वृंदावन धाम से ब्रज माधुरी लीला संस्थान के भगवत किशोर व्यास के सानिध्य में रास का मंचन हुआ। 

रमणरेती आश्रम में साधु-संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली। इस दौरान परंपरा का निर्वहन करते हुए कुछ गुलाल उड़ाया गया। संत कार्ष्णि गुरु शरणानन्द ने पहले थोड़ा सा गुलाल भगवान के स्वरूप को लगाया और उसके बाद भक्तों पर फूलों की बरसात की गई। रमणरेती आश्रम में फूलों की होली के लिए 11 कुंतल फूल लाए गए। 

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गोपाल ठाकुर व्यास की मंडली द्वारा भव्य फूलों की होली का मंचन किया गया। अपने लड्डू गोपाल को लेकर मेरठ से आई छवि और अलीगढ़ से आई नीतू ने रमणरेती आश्रम में होली का आनंद लिया। उनका कहना था कि वह हर बार यहां होली के कार्यक्रम में शामिल होने आती हैं। बड़ा आनंद आता है। 

सब जग होरी ब्रज में होरा की कहावत यूं ही नहीं है। ब्रज में होली का अद्भुत आनंद है। यहां जितने दिन की होली होती है, उतने ही होली के रूप व रंग देखने को मिलते हैं। इस 40 दिवसीय उत्सव में कहीं लड्डू और फूलों की होली होती है तो कहीं लाठियों से रंग बरसता है। 

ब्रज मंडल में होली के त्योहार की शुरूआत वसंत पंचमी से हो चुकी है। मंदिरों में फाग की धमारों के बीच अब अबीर-गुलाल उड़ने लगा है। ब्रज की होली नंदगांव-बरसाना से अपने यौवन पर आती है। यहां लाठियों से बरसा रंग और अबीर-गुलाल के सतरंगी बादल होली के रूप में देश में छाने लगते हैं।

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