मेरठ के मोदीपुरम स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वेटरनरी कॉलेज के डीन प्रोफेसर राजबीर सिंह पर 11 मार्च की शाम पांच बजे हुए हमले के सप्ताह भर बाद पूरे मामले का खुलासा कर दिया। डॉ. राजवीर सिंह पर हुए जानलेवा हमले के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
इससे पहले पुलिस को कई दिन तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा था। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज में बदमाशों के चेहरे या बाइक आदि का नंबर स्पष्ट नहीं हो पा रहा था। पुलिस की जांच रंजिश, किसी छात्र से विवाद और वेटरनरी कॉलेज में नियुक्तियों पर ही आकर टिक जाती थी।
मूल रूप से बागपत के हेवा गांव निवासी प्रोफेसर राजबीर सिंह पर शाम करीब पांच बजे उस वक्त दो बाइक सवार बदमाशों ने गोलियां बरसा दीं थीं जब वह विश्वविद्यालय से कंकरेखड़ा स्थित अपने घर लौट रहे थे। डीन का मेरठ के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। एसएसपी ने इस केस के खुलासे के लिए पांच टीमें लगा रखी थीं। बदमाशों की गोली से डीन का मोबाइल भी टूट गया था। इसे ठीक कराकर पुलिस ने जांच की पर कोई खास सुराग हाथ नहीं लग सका था।
तीन गोलियां निकालीं, जल्द होंगे और ऑपरेशन
अस्पताल में भर्ती डीन राजबीर सिंह के शरीर से डॉक्टरों ने तीन गोलियां ऑपरेशन करके निकाल दी हैं। अभी तीन और गोली उनके शरीर में हैं। चिकित्सक हालत थोड़ी सामान्य होने पर इन्हें निकालने के लिए ऑपरेशन करेंगे। उनके बेटे भानू ने कहा कि बस किसी तरह उनके पापा ठीक हो जाएं।
कृषि यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. राजवीर सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में पुलिस ने तीन आरोपी बिल्डर अनिल बालियान, मुनेंद्र बाना और आशु चड्ढा उर्फ मोंटी को गिरफ्तार कर लिया है। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया है कि यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर आरती भटेले की बिल्डर से दोस्ती थी। आरती राजवीर की हत्या कराकर वेटरनरी की डीन बनना चाहती थी।
पुलिस के अनुसार आरती और अनिल ने उधम सिंह के शूटर आशु को पांच लाख की सुपारी दी। जिसके चलते उधम सिंह के शूटरों ने इस वारदात को अंजाम दिया था। डॉ. राजवीर सिंह पर हमले के मामले में प्रोफेसर आरती व नदीम फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस की दबिश जारी है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसएसपी ने बताया कि आशु 9 फरवरी को डासना जेल से छूट कर आया था और 11 मार्च को उसने सुपारी लेकर वारदात को अंजाम दिया।